Unnao Rape Case: कुलदीप सेंगर को मिली रहेगी राहत या हाईकोर्ट का फैसला होगा रद्द, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर की उम्रकैद सजा निलंबन के खिलाफ CBI सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सोमवार को होने वाली सुनवाई से पीड़िता की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 28 December 2025, 3:01 PM IST
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New Delhi: उन्नाव रेप केस एक बार फिर देश की न्याय व्यवस्था और राजनीति के बीच सबसे संवेदनशील मुद्दा बन गया है। जिस मामले ने कभी पूरे देश को झकझोर दिया था, वह अब फिर सुर्खियों में है। भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा निलंबित किए जाने के फैसले ने न सिर्फ सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पीड़िता की सुरक्षा और न्याय पर भरोसे को लेकर भी बहस छेड़ दी है। अब यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर है, जहां सोमवार को इसकी सुनवाई होनी है।

सुप्रीम कोर्ट में क्यों पहुंचा मामला?

सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। एजेंसी का कहना है कि हाईकोर्ट ने सजा निलंबित करते वक्त कानून की भावना और पीड़िता की सुरक्षा को नजरअंदाज किया। सीबीआई ने मांग की है कि सेंगर की सजा निलंबन पर तुरंत रोक लगाई जाए और हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाए। इस संवेदनशील मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी।

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हाईकोर्ट के फैसले की वजह

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक उसकी उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी थी। अदालत का तर्क था कि सेंगर 7 साल 5 महीने से ज्यादा समय जेल में बिता चुका है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे इस मामले में ‘पब्लिक सर्वेंट’ नहीं माना जा सकता, इसलिए POCSO कानून के कड़े प्रावधान लागू नहीं होंगे। यही बात अब सबसे ज्यादा विवाद का कारण बनी हुई है।

क्या जेल से बाहर आ पाएगा सेंगर?

हालांकि सजा निलंबन के बावजूद कुलदीप सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। वजह यह है कि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस केस में उसे अभी जमानत नहीं मिली है। मतलब तकनीकी रूप से राहत मिलने के बावजूद रिहाई संभव नहीं है।

CBI के गंभीर आरोप

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हाईकोर्ट का फैसला कानून के विपरीत और पीड़िता विरोधी है। एजेंसी का आरोप है कि सेंगर का रसूख और प्रभाव आज भी बना हुआ है, जिससे पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

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सड़कों पर उतरा विरोध

हाईकोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना और कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने संसद भवन के बाहर धरना दिया, जहां पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह फैसला पीड़िताओं के अधिकारों के खिलाफ है।

आगे क्या होगा?

कानूनी जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट या तो हाईकोर्ट के आदेश पर तुरंत रोक लगा सकता है या मामले की विस्तृत समीक्षा का निर्देश दे सकता है। यह फैसला सिर्फ सेंगर की नहीं, बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसे की कसौटी बन गया है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 28 December 2025, 3:01 PM IST