संसद में गरजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव, सरकार से किए तीखे सवाल; बोले – संवेदनहीन लोगों के…

लोकसभा में अमित शाह ने बताया कि ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमले के तीनों आतंकियों को मार गिराया गया। वहीं अखिलेश यादव ने सरकार से सुरक्षा चूक पर तीखे सवाल पूछे।

Updated : 29 July 2025, 2:27 PM IST
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New Delhi: संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव को लेकर जबरदस्त बहस देखने को मिल रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस मुद्दे पर बयान देते हुए जानकारी दी कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दोषी तीनों आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है। शाह के अनुसार, यह कार्रवाई सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान ऑपरेशन महादेव के तहत की गई, जो श्रीनगर के नजदीक दाचीगाम वन क्षेत्र में अंजाम दिया गया।

गृह मंत्री ने सदन को बताया कि 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या करने वाले तीनों आतंकी- सुलेमान उर्फ फैसल, अफगान, और जिबरान- को मार गिराया गया है। ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के ए-ग्रेड आतंकवादी थे और बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए हमले के मास्टरमाइंड थे।

अखिलेश यादव का सरकार पर हमला

सदन में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ओर जहां भारतीय सेना की बहादुरी की तारीफ की, वहीं उन्होंने सरकार पर कई तीखे सवाल भी दागे। अखिलेश ने कहा, हमारी सेना ने न सिर्फ आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि दुश्मन के एयरबेस तक हमला किया। हमें अपनी सेना पर गर्व है।

हालांकि, उन्होंने केंद्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ नीति पर सवाल उठाते हुए कहा, अगर अनुच्छेद 370 हटने के बाद सब कुछ सामान्य था, तो फिर ये हमला कैसे हुआ? सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी कौन लेगा?

मेरा घर मुझसे रूठा जा रहा है- अखिलेश का तंज

अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा, कुछ लोग कहते थे कि छह महीने में पीओके ले लेंगे, लेकिन आज सीजफायर करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा- 'यह भाजपा के लिए है, मैं दुनिया को मनाने में लगा हूं, मेरा घर मुझसे रूठा जा रहा है।'

उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष की ओर से विरोध भी हुआ, लेकिन अखिलेश अपने रुख पर अडिग रहे। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर आतंकियों के सीमा पार घुसपैठ और आम नागरिकों की हत्या को रोकने में क्यों नाकामी हो रही है?

जहां एक ओर अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव की सफलता के जरिए देश को आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की, वहीं अखिलेश यादव ने सरकार को सुरक्षा चूक और राजनीतिक वादों के नाम पर कठघरे में खड़ा किया।

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