जानिये कौन हैं जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और एडवोकेट बीवी आचार्य; जो जस्टिस वर्मा के भविष्य पर लेंगे बड़ा फैसला

कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिये लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने तीन सदस्यीय समिति का ऐलान किया है, जिसमें जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और एडवोकेट बीवी आचार्य को शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में जानिये समिति के तीनों सदस्यों के बारे में

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 12 August 2025, 2:15 PM IST
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New Delhi: कैश कांड को लेकर विवादों में फंसे दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वर्मा को हटाने के लिये तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। सोमवार को लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि जस्टिस व्रमा के खिलाफ मिली शिकायत गंभीर प्रवृति की है। उनको हटाने के लिये तीन सदस्यों को कमेटी बनाई गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जज शामिल होंगे।

लोकसभा स्पीकर ने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि 31 जुलाई को जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव मिला था। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को नियमानुसार उचित पाते हुए, उन्होंने इसकी स्वीकृति प्रदान की है। न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 की धारा 3 की उप-धारा 2 के पद से अनुसार, उन्होंने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को 'हटाने के अनुरोध के आधारों की जाँच करने के उद्देश्य से 3 सदस्यों वाली एक समिति गठित की है। इस समिति में निम्नलिखिथ सदस्य शामिल हैं।

इस समिति में निम्नलिखिथ सदस्य शामिल हैं।

(1) न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, न्यायधीश, उच्चतम न्यायालय
(2) न्यायमूर्ति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव, मुख्य न्यायाधीश, मद्रास उच्च न्यायालय
(3) बी.वी. आचार्य, वरिष्ठ अधिवक्ता, कर्नाटक उच्च न्यायालय

तीन सदस्यीस समिति यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जाँच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक यह प्रस्ताव लंबित रहेगा।

जस्टिस एमएम श्रीवास्तव

न्यायमूर्ति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव मद्रास उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश है। जस्टिस मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले हैं और 21 जुलाई 2025 को मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। इससे पहले वे 6 फरवरी 2024 से राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। उनका जन्म 6 मार्च 1964 को हुआ था और उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन के बाद केआर लॉ कॉलेज, बिलासपुर से कानून की पढ़ाई की, जिसमें उन्होंने टॉप करते हुए गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

1987 में उन्होंने मध्य प्रदेश बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया और रायगढ़ जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू की। बाद में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर बेंच में वकालत की, जहां वे इनकम टैक्स, संवैधानिक कानून, लेबर और सर्विस मैटर से जुड़े मामलों में सक्रिय रहे। 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद उन्होंने अपनी प्रैक्टिस छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर ली।

2005 में वे सीनियर एडवोकेट बने और 10 दिसंबर 2009 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए। अक्टूबर 2021 में राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए और फरवरी 2024 में स्थायी चीफ जस्टिस बने। उनकी सेवाएं शिक्षा, चुनाव और स्थानीय कानूनों के मामलों में भी रही हैं। वे गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की बोर्ड ऑफ स्टडीज और अकादमिक काउंसिल के सदस्य भी रह चुके हैं।

जस्टिस अरविंद कुमार

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने छात्र राजनीति से लेकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय तक का प्रेरणादायक सफर तय किया है। बेंगलुरु में प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने नेशनल कॉलेज से स्नातक और बेंगलुरु विश्वविद्यालय से विधि की डिग्री प्राप्त की। छात्र जीवन में वे विश्वविद्यालय की छात्र कार्रवाई समिति के उपाध्यक्ष और छात्र संघ के सक्रिय सदस्य रहे। 1987 में उन्होंने एडवोकेट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और ट्रायल कोर्ट में तीन वर्ष अभ्यास के बाद 1990 से कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्वतंत्र वकालत की। 1999 में वे अतिरिक्त केंद्रीय सरकारी स्थायी अधिवक्ता नियुक्त हुए और 2002 में प्रत्यक्ष कर परामर्शदात्री समिति के सदस्य बने। 2005 में भारत के सहायक महाधिवक्ता नियुक्त हुए और कई संवैधानिक व कर मामलों में पैरवी की। वे आयकर विभाग के स्थायी अधिवक्ता और कई निगमों के विधिक सलाहकार भी रहे। उन्होंने लहरी एडवोकेट्स फोरम की स्थापना कर युवा वकीलों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान किया। 2009 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बने, 2021 में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और 13 फरवरी 2023 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।

 एडवोकेट बीवी आचार्य

वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य का जन्म कर्नाटक के उडुपी जिले के बेलपू गांव में हुआ। उन्होंने 29 अगस्त 1957 को मैसूर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया और मंगलुरु में वकालत शुरू की। 1972 में उनका प्रैक्टिस कर्नाटक उच्च न्यायालय, बेंगलुरु स्थानांतरित हुआ। 1979 से 1982 तक वे कर्नाटक राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे। मई 1989 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता और उसी वर्ष कर्नाटक के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया, जिसमें वे 1989 से 2012 तक पांच बार सेवा दे चुके हैं। 2005 में वे तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त हुए। जनवरी 2009 में मंगलुरु विश्वविद्यालय ने कानूनी क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें मानद डॉक्टरेट दी। वे भारत के 19वें विधि आयोग के सदस्य रहे और 2014 में उनकी आत्मकथा प्रकाशित हुई। 2017 में बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने उन्हें सम्मानित किया। 2019 से वे अंतरराष्ट्रीय न्यायविद आयोग, कर्नाटक के अध्यक्ष हैं और 88 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय रूप से वकालत कर रहे हैं।

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Published : 
  • 12 August 2025, 2:15 PM IST