

संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत के दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। अपने मुखर स्वभाव और विवादास्पद बयानों के लिए चर्चित रहे धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट, छात्र राजनीति और विपक्ष पर कई तीखे बयान दिए थे। उनके इस्तीफे के बाद अब नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
New Delhi: संसद का मॉनसून सत्र शुरू होते ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा। अपने मुखर और विवादित बयानों के लिए पहचाने जाने वाले धनखड़ का कार्यकाल कई बार विपक्ष और न्यायपालिका से टकरावों से भरा रहा।
इस्तीफे से शुरू हुआ सत्र
21 जुलाई को जैसे ही संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ, देश को उस समय हैरानी हुई जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि अब वे अपने स्वास्थ्य और व्यक्तिगत जीवन को प्राथमिकता देना चाहते हैं। यह इस्तीफा ऐसे समय आया है जब संसद सत्र की शुरुआत हो रही थी, जिससे राजनीतिक और संवैधानिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
बयानों से बने सुर्खियों में
धनखड़ का उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल अपने बोल्ड और बेबाक बयानों की वजह से लगातार चर्चा में रहा। वे कई बार ऐसे विषयों पर टिप्पणी कर चुके हैं जो संवैधानिक संस्थाओं के बीच टकराव की स्थिति तक पहुंच गए। जनवरी 2023 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की "मूल संरचना सिद्धांत" को लेकर सवाल उठाया था। धनखड़ ने कहा था अगर संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को अदालत रद्द करती है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। इस बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के रूप में देखा गया और विपक्ष ने इसे लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।
शिक्षा संस्थानों पर विवादित टिप्पणी
मार्च 2023 में उपराष्ट्रपति ने छात्र राजनीति और विश्वविद्यालयों को लेकर भी बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि कुछ विश्वविद्यालय देश विरोधी विचारधाराओं के अड्डे बन चुके हैं। इस बयान को सीधे जेएनयू और अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की ओर इशारा माना गया, जिससे शैक्षणिक जगत में नाराजगी फैल गई।
राज्यसभा में विपक्ष पर तीखे हमले
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में लगातार विपक्ष को निशाना बनाया। उन्होंने बार-बार कहा कि संसद में अनुशासनहीनता और बिना चर्चा के विधेयक पारित होने का मुख्य कारण विपक्षी दलों की कार्यशैली है। उन्होंने खासतौर पर उन राज्यसभा सांसदों पर निशाना साधा जो बड़े वकील भी हैं और विपक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं।
एनजेएसी पर तीखी टिप्पणी
धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए। उन्होंने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में कहा था कि संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित कानून को अदालत ने खारिज कर दिया, लेकिन संसद में किसी ने इसका विरोध तक नहीं किया।
विपक्ष का आरोप
धनखड़ के इस्तीफे के बाद विपक्ष की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ नेताओं ने उनके इस्तीफे को राजनीतिक दबाव या असहमति का नतीजा बताया, तो कुछ ने उनके कार्यकाल को जनतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध करार दिया।