

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। अब संविधान के अनुसार, 60 दिनों के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगा। इस दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे। ऐसे में यह जानना अहम है अब जगदीप धनखड़ के पद छोड़ने के बाद उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा?
कैसे होगा अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव
New Delhi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजी चिट्ठी में कहा कि वे स्वास्थ्य कारणों के चलते खुद की देखभाल को प्राथमिकता देना चाहते हैं, इसलिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। उनके कार्यकाल के मध्य में अचानक इस्तीफा देने से अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत उपराष्ट्रपति का चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के तहत होता है, और मतदान प्रक्रिया सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से की जाती है। यह चुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से होता है।
मतदाता कौन होते हैं?
इस चुनाव में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 सांसद यानी कुल 788 सदस्य वोटिंग के पात्र होते हैं। चुनाव आयोग चुनाव की तारीख तय करते वक्त संसद में वर्तमान सक्रिय सदस्यों की गणना के अनुसार मतदाता सूची बनाता है।
वोटिंग प्रक्रिया कैसी होती है?
मतदाता को बैलट पेपर पर अपनी प्राथमिकता क्रम तय करना होता है- जैसे कि पहली पसंद को ‘1’, दूसरी पसंद को ‘2’ और ऐसे ही आगे। इसे रोमन अंकों में ही लिखा जाता है, और केवल चुनाव आयोग द्वारा दिए गए पेन से ही अंकन किया जा सकता है।
काउंटिंग और जीत का गणित
पहले चरण में सभी उम्मीदवारों के पहली प्राथमिकता वाले वोट गिने जाते हैं। यदि किसी को जरूरी ‘कोटा’ (majority quota) मिल जाता है, तो वह विजयी घोषित कर दिया जाता है। यदि कोई उम्मीदवार कोटे तक नहीं पहुंचता, तो सबसे कम वोट पाने वाले को बाहर किया जाता है, और उसके वोटों की दूसरी प्राथमिकता को दूसरे उम्मीदवारों में ट्रांसफर किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक किसी उम्मीदवार को जरूरी बहुमत न मिल जाए।
उम्मीदवार बनने की शर्तें
उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए किसी व्यक्ति को कम से कम 20 सांसदों का प्रस्तावक और 20 सांसदों का समर्थक बनवाना जरूरी होता है। इसके साथ ही ₹15,000 की जमानत राशि भी चुनाव आयोग में जमा करनी होती है। नामांकन पत्रों की जांच के बाद योग्य उम्मीदवारों के नाम मतपत्र में शामिल किए जाते हैं।
उपराष्ट्रपति की भूमिका क्या होती है?
उपराष्ट्रपति की संवैधानिक भूमिका सीमित होती है, लेकिन वह राज्यसभा के सभापति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार, उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है, राष्ट्रपति के बाद और प्रधानमंत्री से पहले।
राष्ट्रपति चुनाव से कैसे अलग है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
राष्ट्रपति चुनाव में संसद के निर्वाचित सदस्यों के साथ-साथ सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक भी हिस्सा लेते हैं। वहीं, उपराष्ट्रपति चुनाव केवल संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा होता है और इसमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी मतदान कर सकते हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव में नहीं कर सकते।
अब आगे क्या होगा?
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद खाली होने के 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। तब तक राज्यसभा के उपसभापति कार्यवाहक सभापति के रूप में कार्यभार संभालते हैं। वर्तमान में यह जिम्मेदारी हरिवंश नारायण सिंह के पास है। चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की तिथि घोषित करेगा और राजनीतिक हलकों में संभावित उम्मीदवारों की चर्चा शुरू हो चुकी है।