

गांधी जयंती पर जानिए दुनिया के सबसे बड़े चरखे के बारे में, जो दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर यात्रियों का ध्यान खींचता है। यह न सिर्फ एक कलाकृति है, बल्कि बापू के स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भरता की विचारधारा का जीवंत प्रतीक भी है।
दुनिया का सबसे बड़ा चरखा
New Delhi: गांधी जयंती, यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन। यह दिन केवल एक महान नेता के जन्म की स्मृति नहीं, बल्कि उनके विचारों, दर्शन और देशभक्ति की भावना को फिर से याद करने का दिन है। गांधीजी की शिक्षाओं को समझना हो तो उनके प्रिय चरखे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आर्थिक स्वतंत्रता, स्वावलंबन और अहिंसक प्रतिरोध का प्रतीक
चरखा गांधी के लिए केवल सूत कातने का उपकरण नहीं था, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया था। उन्होंने इसे स्वदेशी आंदोलन के केंद्र में रखा और आत्मनिर्भर भारत का सपना इसी छोटे से उपकरण के माध्यम से दिखाया। गांधीजी के लिए चरखा आर्थिक स्वतंत्रता, स्वावलंबन और अहिंसक प्रतिरोध का प्रतीक था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा चरखा कहां है?
कहां पर है दुनिया का सबसे बड़ा चरखा?
इस सवाल का जवाब भी गांधीजी के विचारों की धरती भारत ही देता है और खास बात ये है कि यह आपके ही शहर दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI Airport) के टर्मिनल-3 पर है। 17 फीट ऊंचा, 30 फीट लंबा और 9 फीट चौड़ा यह चरखा बना है बर्मा सागौन की लकड़ी से दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 के प्रस्थान क्षेत्र (Departure Area) में जैसे ही यात्री प्रवेश करते हैं, उन्हें एक विशाल लकड़ी का चरखा दिखाई देता है। यह केवल एक सजावटी संरचना नहीं है, बल्कि भारतीय विरासत, संघर्ष और आत्मबल का प्रतीक है।
बर्मा सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल किया
इस विशाल चरखे का निर्माण अहमदाबाद में किया गया था। इसे खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा तैयार कराया गया। चरखा बनाने में बर्मा सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है, जो अपनी मजबूती और टिकाऊपन के लिए जानी जाती है। इस चरखे को तैयार करने में 42 कुशल कारपेंटरों की टीम ने लगातार 55 दिनों तक दिन-रात मेहनत की। इसका कुल वजन 4149 किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई 17 फीट, लंबाई 30 फीट और चौड़ाई 9 फीट है।
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2016 में हुआ था लोकार्पण
इस भव्य चरखे का उद्घाटन वर्ष 2016 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा किया गया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक संदेश भी पढ़ा गया, जिसमें उन्होंने लिखा, "चरखा हमारी गौरवशाली विरासत और गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा का प्रतीक है। यह हमें आत्मनिर्भरता, सतत विकास और सामाजिक समरसता की याद दिलाता है।" प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह चरखा एयरपोर्ट से गुजरने वाले हर यात्री को भारत की कालातीत संस्कृति, सहिष्णुता और स्थायित्व का संदेश देगा।
विदेशी पर्यटकों में आकर्षण का केंद्र, बनता है सेल्फी पॉइंट
एयरपोर्ट के इस चरखे को देखने के लिए यात्रियों में खासा उत्साह रहता है। विदेशी सैलानी अक्सर इस पर नजर टिकाए रहते हैं और इसके पास दी गई जानकारी की पट्टिका को ध्यान से पढ़ते हैं। इसके बाद वे जरूर एक सेल्फी लेते हैं या अपने दोस्तों के साथ इस अद्भुत संरचना के सामने खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाते हैं। यह चरखा आज के युवाओं और देश-विदेश से आने-जाने वाले यात्रियों को बापू के सिद्धांतों से जोड़ने का एक अनूठा माध्यम बन चुका है।