

पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने न केवल निर्दोष पर्यटकों की जान ली, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक और पर्यटन विरासत को भी चोट पहुंचाई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
आतंकी हमला
श्रीनगर: "बस 20 मिनट की दूरी, गोलियों की आवाज़ और जान बचाने के लिए भागते लोग," ये शब्द महाराष्ट्र के एक दंपती के हैं। जिन्होंने पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले का दिल दहला देने वाला अनुभव बयां किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस दंपती ने बताया कि वे घटनास्थल से महज 20 मिनट की दूरी पर थे और जैसे ही हमले की जानकारी मिली। उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए अपनी पत्नी और बेटे को लेकर दौड़ लगाई। दंपती ने कहा, "कुछ देर पहले ही हमने इलाके को छोड़ा था। तभी गोलियों की आवाज़ सुनाई देने लगी और लोग चिल्लाने लगे कि आतंकी आ गए हैं। इसके बाद हम पीछे मुड़कर नहीं देखे।"
हमले के दौरान भागते हुए पति की मुश्किलें
नागपुर से आए पर्यटक ने बताया कि "काफी देर तक गोलीबारी की आवाज आती रही। लोग इधर-उधर दौड़ रहे थे और हर कोई अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान की ओर भागने लगा। मेरी पत्नी के पैर में फ्रैक्चर हो गया और मैं केवल पत्नी और बच्चे की सुरक्षा को लेकर परेशान था। इस मंजर को मैं ताउम्र नहीं भूल सकता।"
भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं
अस्पताल में भर्ती एक महिला ने घटना के बारे में बताया, "लोग चिल्ला रहे थे कि फायरिंग हो रही है, भागो! हर कोई अपनी जान बचाने के लिए धक्का दे रहा था और बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। वहां बच्चे भी थे और बाहर निकलने में काफी दिक्कत हो रही थी। हम किसी भी तरह सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए दौड़ते रहे और पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।" यह स्थिति न केवल भयावह थी, बल्कि कश्मीरी घाटी के एक सामान्य दिन को आतंक की विभीषिका में बदलने वाली थी।
घायल पर्यटकों को घोड़े पर लाने की दास्तान
घटना के बाद एक टूर गाइड ने बताया कि उसने गोलियों की आवाज़ सुनने के बाद घटनास्थल पर पहुंचकर कुछ घायलों को घोड़े पर बैठाकर वहां से सुरक्षित स्थान पर ले जाया। वह कहते हैं, "मैंने कुछ लोगों को जमीन पर पड़े देखा, जो मृत लग रहे थे। हमले के बाद घटनास्थल पर स्थिति अत्यंत भयावह थी और कई लोग घायल अवस्था में मदद के लिए रो रहे थे।"
28 पर्यटकों की हत्या
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 28 लोगों की नृशंस हत्या कर दी। हमलावर सेना की वर्दी में आए थे और उन्होंने पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा फिर उनके पहचान पत्र देखे और बाद में हिन्दू होने पर उन्हें गोली मार दी। इस हमले में 28 मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे, जबकि दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय कश्मीरी नागरिक भी शामिल थे। इस जघन्य हमले ने कश्मीर में आतंकवाद की एक और काली छाया फैला दी और कश्मीर के पर्यटन उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है।
आतंकी हमले के बाद कश्मीर के पर्यटन पर असर
इस हमले ने न केवल पर्यटकों की जान ली बल्कि कश्मीर की पर्यटन इंडस्ट्री पर भी गहरा असर डाला है। जहां कश्मीर की खूबसूरती और अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर पर्यटकों को आकर्षित करती थी, वहीं इस हमले के बाद यहां आने वाले सैलानियों में भय का माहौल बन गया है। हमले के बाद कश्मीर के पर्यटन स्थल जैसे गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम और डल झील पर सैलानियों की संख्या में गिरावट आनी तय है। जो कश्मीर के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से भी बड़ा झटका साबित हो सकता है।