Parliament Attack 2001: जब गोलियों की गूंज से दहला था संसद परिसर, 45 मिनट तक हुई थी फायरिंग; पढ़ें इस हमले की खौफनाक दास्तां

13 दिसंबर 2001 को दिल्ली के संसद भवन पर आतंकवादी हमला हुआ। इस हमले में 9 बहादुर वीर शहीद हुए, जबकि आतंकी ढेर कर दिए गए। आज भी यह दिन शहादत और लोकतंत्र की रक्षा की गाथा याद दिलाता है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 13 December 2025, 11:24 AM IST
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New Delhi: 13 दिसंबर 2001 की सुबह दिल्ली बेहद ठंडी थी। संसद भवन में शीतकालीन सत्र चल रहा था और महिला आरक्षण बिल पर जोरदार हंगामा मचा हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी संसद से निकल चुके थे, लेकिन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई दिग्गज नेता और पत्रकार अभी भी अंदर मौजूद थे।

सफेद एंबेसडर और गेट नंबर 12

सुबह करीब 11:30 बजे, संसद भवन के गेट नंबर 12 से एक सफेद रंग की एंबेसडर कार तेजी से परिसर में घुसी। कार पर गृह मंत्रालय और संसद के फर्जी स्टिकर लगे हुए थे। सुरक्षाकर्मियों ने कार की रफ्तार और संदिग्ध हरकत देख तुरंत पीछे दौड़ लगाई। हड़बड़ी में आतंकियों की कार उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई। टक्कर के तुरंत बाद आतंकियों ने अपनी एके-47 राइफलों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। देखते ही देखते पूरा संसद परिसर गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा।

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शौर्य की गाथा और आतंकियों का अंत

हमले के तुरंत बाद संसद भवन के सभी दरवाजे बंद कर दिए गए। सांसदों और मंत्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया, जबकि बाहर सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला। एक आतंकी गेट नंबर 1 से सदन के भीतर घुसने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मुस्तैद जवानों ने उसे वहीं ढेर कर दिया। बाकी चार आतंकी गेट नंबर 4 की तरफ बढ़े, जहां हुई भीषण मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए। अंतिम आतंकी गेट नंबर 5 की तरफ भागा, लेकिन सुरक्षाबलों ने उसे भी ढेर कर दिया। यह खूनी खेल सुबह 11:30 बजे से शाम 4 बजे तक चला।

9 जांबाजों ने दी शहादत

• दिल्ली पुलिस के 5 जवान
• सीआरपीएफ की महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी
• राज्यसभा सचिवालय के 2 कर्मचारी
• एक माली

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साजिश का पर्दाफाश और गिरफ्तारियां

हमले के दो दिन बाद, 15 दिसंबर 2001, दिल्ली पुलिस ने साजिश का पर्दाफाश किया। मास्टरमाइंड अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद गिलानी और अफशान बरी हो गए। शौकत हुसैन की सजा कम कर दी गई। मुख्य साजिशकर्ता अफजल गुरु को दोषी पाया गया।

अफजल गुरु को फांसी

अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सुबह 8 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। इस फैसले ने भारत में आतंकवाद के खिलाफ कठोर संदेश दिया। 13 दिसंबर का दिन आज भी उन शहीदों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर लोकतंत्र की रक्षा की।

लोकतंत्र की रक्षा में वीरों की गाथा

संसद हमले ने यह साबित किया कि भारतीय लोकतंत्र सुरक्षा और शौर्य का प्रतीक है। सुरक्षा बलों की तत्परता और शहीदों का साहस इस घटना को देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनाता है। आज भी संसद हमले की याद दिलाती है कि आतंकवाद के सामने साहस, तत्परता और एकजुटता कितनी महत्वपूर्ण है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 13 December 2025, 11:24 AM IST