

सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व घटना के बाद वकील राकेश किशोर पर सख्त कार्रवाई हुई है। इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने उन्हें वकालत से निलंबित कर दिया था। यह कदम न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा के लिए उठाया गया है।
वकील राकेश किशोर
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को चुनौती देने वाली एक अभूतपूर्व घटना के बाद न्यायिक संस्थाओं ने सख्त रुख अपनाया है। वकील राकेश किशोर, जिन्होंने 6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 1 में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की ओर जूता फेंकने की कोशिश की थी, अब पेशेवर दंड का सामना कर रहे हैं।
इस घटना को लेकर पहले ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से वकालत से निलंबित कर दिया था। और अब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी है।
SCBA की कार्यकारी समिति ने इस घटना को 'न्यायालय की गरिमा और न्याय प्रणाली पर सीधा हमला' बताया है। राकेश किशोर वर्ष 2011 से SCBA के अस्थायी सदस्य थे।
गौरतलब है कि 6 अक्टूबर की सुबह करीब 11:35 बजे, राकेश किशोर कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान खड़े थे। इसी दौरान उन्होंने अपना जूता निकालकर मुख्य न्यायाधीश की ओर फेंक दिया। हालांकि, यह जूता उन्हें नहीं लगा और सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत राकेश को हिरासत में ले लिया।
दिल्ली पुलिस ने उन्हें थोड़ी देर बाद रिहा कर दिया, क्योंकि कोर्ट की रजिस्ट्री से इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई थी।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उसी दिन शाम को राकेश किशोर को वकालत से निलंबित कर दिया था। BCI अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के हस्ताक्षर से जारी आदेश में कहा गया कि वे अब किसी भी अदालत या ट्रिब्यूनल में पेश नहीं हो सकते और उनके ID कार्ड व एक्सेस पास को तत्काल निष्क्रिय किया जाए।
राकेश किशोर का कहना है कि उन्होंने यह कदम न्यायपालिका के एक कथित “अपमानजनक टिप्पणी” के विरोध में उठाया। उनका दावा है कि वे खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फीट की खंडित मूर्ति की मरम्मत की याचिका पर सीजेआई की टिप्पणी से नाराज थे। सीजेआई ने कहा था, "आप इतने बड़े भक्त हैं तो भगवान से ही कहिए कुछ कर दें।" इस टिप्पणी को राकेश किशोर ने धार्मिक आस्था का अपमान बताया और गुस्से में आकर उन्होंने यह हरकत कर दी।