गिफ्ट नहीं, जिम्मेदारी दें: वित्त मंत्रालय की सख्त सलाह, जानें क्यों उठी गिफ्ट प्रथा पर आपत्ति?

वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. सुमंत्र पाल ने CPSEs में दीवाली और अन्य त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा खत्म करने की सिफारिश की है। यह सलाह कर्मचारियों के बीच भारी असंतोष का कारण बनी है, जिसे कई संगठनों ने मनोबल गिराने वाला बताया है। विवाद गहराता जा रहा है कि क्या यह कदम आर्थिक अनुशासन है या कर्मचारी अधिकारों में कटौती?

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 20 September 2025, 3:25 PM IST
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New Delhi: 17 सितंबर 2025 को केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. सुमंत्र पाल ने एक पत्र जारी कर लोक उद्यम विभाग (DPE) को निर्देश दिया कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) में दीवाली या अन्य त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा पर तत्काल रोक लगाई जाए। डॉ. पाल का तर्क है कि ऐसी परंपराएं जनता के संसाधनों का अनुचित उपयोग हैं और इससे सरकारी खर्च बढ़ता है। उनके अनुसार, पब्लिक रिसोर्सेज का न्यायसंगत और जिम्मेदार उपयोग किया जाना चाहिए, खासकर वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए।

क्यों उठी गिफ्ट प्रथा पर आपत्ति?

वित्त मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि त्योहारों पर उपहार देना सार्वजनिक धन का उपयोग है, जिसे औपचारिक रूप से समाप्त किया जाना चाहिए। इस निर्देश के तहत CPSEs से अपेक्षा की गई है कि वे सभी त्योहारों पर गिफ्ट देने और लेने की परंपरा को समाप्त करें, और सुनिश्चित करें कि कर्मचारी इस पर अमल करें।

वित्त मंत्रालय

‘ये परंपरा नहीं, सम्मान है’

‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि दीवाली या किसी त्योहार पर कर्मचारियों को जो छोटा-सा गिफ्ट मिलता है, वह सिर्फ भौतिक चीज नहीं होती, बल्कि सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक होती है। उनका मानना है कि यह गिफ्ट भले ही मूल्य में मामूली हो, लेकिन इसका असर मनोबल और उत्साह पर बहुत गहरा होता है। उन्होंने वित्त मंत्रालय के इस सुझाव को कर्मचारी-विरोधी कदम करार दिया।

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CPSEs और DPE की भूमिका क्या है?

लोक उद्यम विभाग (DPE), वित्त मंत्रालय का एक नोडल विभाग है जो भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कामकाज, नीतियों और प्रदर्शन मूल्यांकन की देखरेख करता है।
• DPE की स्थापना 1965 में पब्लिक एंटरप्राइज ब्यूरो (BPE) के रूप में हुई थी।
• 1990 में इसे पूर्ण विभाग का दर्जा मिला।
• इसका मुख्य उद्देश्य है पारदर्शिता, नवाचार, स्थिरता और जिम्मेदार शासन को बढ़ावा देना।

💬 दोनों पक्षों की दलीलें

सरकार का पक्ष:
• गिफ्ट देने की परंपरा बजटीय अनुशासन के विरुद्ध है।
• यह निजी संस्थाओं की नकल है, जो सरकारी तंत्र में अनुचित है।
• इससे पब्लिक रिसोर्स का अपव्यय होता है।

कर्मचारियों का पक्ष:
• गिफ्ट देने की परंपरा से मनोबल और आत्मसम्मान को बल मिलता है।
• यह कर्मचारियों को संगठन से जोड़ने का एक तरीका है।
• एक छोटा सा गिफ्ट भी बड़े स्तर पर सकारात्मक ऊर्जा देता है।

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