10,800 सबूत, 323 गवाह और 1 लाख से अधिक पन्नों का रिकॉर्ड; 17 साल बाद मालेगांव ब्लास्ट मामलें में आया कोर्ट का फैसला

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में भिखु चौक के पास बाइक बम ब्लास्ट हुआ था। जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। आज 31 जुलाई 2025 एनआईए की विशेष अदालत मुंबई इस केस ने अपना फैसला सुनाया है। यह वह ऐतिहासिक दिन है जब लगभग दो दशक के लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फैसला आया।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 31 July 2025, 11:21 AM IST
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Maharashtra: लगभग 17 साल बाद मालेगांव 2008 विस्फोट केस में विशेष अदालत एनआईए मुंबई ने आज अपना निर्णायक फैसला सुनाया है। एनआईए विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस लंबी कानूनी प्रक्रिया में 10,800 सबूत, 323 गवाहों की गवाही और 5 जजों का योगदान रहा। आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपी अदालत में उपस्थित हैं। छह लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने वाले इस मामले का न्याय की दहलीज पर फैसला भारत की राजनीति और कानून व्यवस्था दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

जांच में थी गंभीर त्रुटियां

निर्णय सुनाते समय जज A.K. Lahoti ने कहा कि मामले की प्रारंभिक और द्वितीयक जांच में कई प्रक्रिया-दोष थे। उन्होंने विशेष रूप से यह स्वीकार किया कि कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की पुष्टि एजेंसियां नहीं कर सकीं। जज ने निर्णय में स्पष्ट कहा कि सरकारी पक्ष यह प्रमाणित करने में सक्षम था कि एक विस्फोट हुआ था, पर यह ठीक तरह से साबित नहीं किया जा सका कि विस्फोट स्कूटर (LML Vespa) में हुआ था। उन्होंने उल्लेख किया कि स्कूटी से जुड़े तकनीकी और फॉरेंसिक मेल नागरहित रहे।

विस्फोट स्कूटर में हुआ- यह साबित नहीं”

सरकार विस्फोट की घटना तो बता सकती थी, लेकिन यह साबित करने में असमर्थ रही कि वह स्कूटर में हुआ था, यह कोर्ट के फैसले का प्रमुख भाग था। यह स्पष्ट करता है कि स्थानीय एजेंसियों की जांच में तकनीकी सबूत कमजोर पड़े।

अदालत ने यह अनुरोध स्वीकार किया

जब जज अदालत में ऑर्डर की प्रति पढ़ रहे थे तभी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने आगे बैठने की विनती की। अदालत ने यह अनुरोध स्वीकार जैसा व्यवहार किया हालांकि, जज ने सूचित किया कि तीन चार एजेंसियाँ इस केस में लगी थीं, जिसका भी असर जांच प्रक्रिया पर पड़ा।

ब्लास्ट केस में सभी आरोपी बरी

मुंबई की स्पेशल NIA कोर्ट ने मालेगांव 2008 बम धमाका केस में अपना फैसला सुनाया। इस हाई प्रोफ़ाइल मुकदमे में कुल सात आरोपी जिसमें पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं।

जानें कब और कैसें हुआ था धमाका

29 सितंबर 2008 को मालेगांव में भीकू चौक पर हुआ विस्फोट छह लोगों की जान ले गया और 101 से अधिक घायल हुए। इस मामले की प्रारंभिक जांच एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने संभाली। जिसमें आरोप लगाया गया कि 'अभिनव भारत' नामक संगठित गिरोह ने धमाके की साजिश रची। सबसे अहम सुराग एक मोटरसाइकिल से मिला, जो कथित रूप से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर दर्ज थी। आजादी के 17 साल बाद इस घटना के सभी पहलुओं का विश्लेषण न्यायिक प्रक्रिया में सामने आया है।

इन लोगों की हुई थी मौत

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में भिखु चौक पर रात लगभग 9:35 बजे एक दोपहिया वाहन (मोटरसाइकिल) में विस्फोट हुआ। इस धमाके में छह लोगों की मौत हुई और 101 से अधिक लोग घायल हुए। मृतकों में फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे। प्रारंभ में स्थानीय पुलिस ने FIR दर्ज की, लेकिन बाद में यह मामला Anti-Terrorism Squad (ATS) को सौंप दिया गया। ATS को अस्थिरता, साजिश और खुफिया मामलों की जांच में विशेषज्ञ माना जाता है।

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