

अंतरिक्ष से हाल ही में लौटे भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार अपने अनुभव और रिकवरी की जानकारी साझा कर रहे हैं। शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर एक मजेदार वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें वह ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।
शुभांशु शुक्ला (सोर्स-गूगल)
New Delhi: अंतरिक्ष से हाल ही में लौटे भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार अपने अनुभव और रिकवरी की जानकारी साझा कर रहे हैं। शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर एक मजेदार वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें वह ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो में एक ऐसा पल भी आता है जब उनका बैलेंस बिगड़ जाता है, जिस पर वे और उनके कोच दोनों हंस पड़ते हैं। यह वीडियो दर्शाता है कि रिकवरी के दौरान भी सकारात्मकता और हंसी-मज़ाक का माहौल बना रहता है।
सोशल मीडिया पर साझा कि अंतरिक्ष की गतिविधि
शुभांशु की सोशल मीडिया गतिविधि उनके अंतरिक्ष मिशन के बाद काफी बढ़ गई है। वे अपने अनुभवों को न केवल साझा कर रहे हैं, बल्कि स्पेस से जुड़ी विज्ञान और तकनीक की जानकारियों को भी लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा वे अपने शरीर में आए बदलावों और रिकवरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जिससे सामान्य लोग भी अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों को बेहतर समझ सकें।
शुभांशु ने अपने एक पोस्ट में बताया कि माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण के अभाव वाले अंतरिक्षीय वातावरण में शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इनमें तरल पदार्थों का स्थानांतरण, हृदय गति में बदलाव, शरीर का संतुलन फिर से स्थापित करना और मांसपेशियों का सिकुड़ना शामिल हैं। ये सभी बदलाव शरीर की अंतरिक्ष के वातावरण के अनुसार अनुकूलन की प्रक्रिया के हिस्से हैं। जब एस्ट्रोनॉट पृथ्वी पर वापस आते हैं, तो इन बदलावों को फिर से सामान्य स्थिति में लाना पड़ता है, जो एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है।
शुभांशु ने बताया कि हर अंतरिक्ष यात्री के लिए यह अनुकूलन प्रक्रिया अलग हो सकती है, लेकिन यह देखना आश्चर्यजनक होता है कि शरीर कितनी जल्दी बदलते हुए माहौल के अनुसार खुद को ढाल लेता है। उन्होंने लिखा कि इस अज्ञात की खोज में न केवल वे नई तकनीकें सीखते हैं, बल्कि अपने शरीर और मानसिक शक्ति को भी बेहतर समझ पाते हैं।
अंतरिक्ष यात्रा केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं
उनका कहना है कि अंतरिक्ष यात्रा केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के शरीर और मन की क्षमता की भी परीक्षा है। रिकवरी के दौरान व्यायाम करना और संतुलन बनाना बेहद जरूरी होता है, ताकि शरीर पुनः सामान्य कार्य प्रणाली में लौट सके। इस चुनौतीपूर्ण दौर में उन्होंने अपने कोच की मदद भी ली, जो उनकी रिकवरी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बना रहा है।
शुभांशु ने अपने पोस्ट में स्वास्थ्य के प्रति आए लोगों के स्नेहपूर्ण संदेशों के लिए आभार भी जताया है। उन्होंने लिखा कि इतनी शुभकामनाएं पाकर वे बहुत प्रेरित महसूस कर रहे हैं और यह उन्हें स्वस्थ और फिट रहने की प्रेरणा देती हैं। उन्होंने सभी से रिकवरी प्रक्रिया को समझने और समर्थन देने का आग्रह भी किया।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक
अंतरिक्ष मिशन के बाद शुभांशु की सक्रियता और अनुभव साझा करने का यह सिलसिला न केवल युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भारत के स्पेस कार्यक्रम को भी नई ऊर्जा देता है। उनके अनुभवों के जरिए सामान्य लोग अंतरिक्ष यात्रा की चुनौतियों और वैज्ञानिक पहलुओं को समझ पाते हैं, जिससे भविष्य में स्पेस विज्ञान में रुचि और बढ़ेगी।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला का यह सकारात्मक रवैया और अनुभव साझा करना भारतीय अंतरिक्ष समुदाय के लिए गर्व की बात है। उनका यह प्रयास न केवल विज्ञान की समझ बढ़ाएगा बल्कि देशवासियों को अंतरिक्ष के अद्भुत और चुनौतीपूर्ण सफर से भी परिचित कराएगा।