अमेरिका का भारत को दूसरा झटका: 6 भारतीय तेल कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, जानें क्यों लिया ये फैसला

अमेरिका ने भारत को एक और बड़ा झटका देते हुए छह प्रमुख भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का आरोप है कि ये कंपनियां ईरान के साथ तेल कारोबार कर रही थीं, जिससे ईरानी सरकार को राजस्व मिल रहा था। अमेरिका का दावा है कि ईरान इस धन का इस्तेमाल मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में कर रहा है। इस प्रतिबंध का असर भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र पर भी पड़ सकता है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 31 July 2025, 10:19 AM IST
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New Delhi: अमेरिका और भारत के बीच हाल ही में बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच अब वॉशिंगटन ने भारत पर एक और दबाव बना दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने छह भारतीय तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिन पर आरोप है कि वे ईरान से कच्चा तेल खरीद रही थीं या उसके साथ कारोबारी संबंध बनाए हुए थीं। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब अमेरिका पहले ही भारत के कुछ निर्यात उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर चुका है। अब यह दूसरा बड़ा आर्थिक झटका माना जा रहा है, जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।

कौन सी कंपनियां हैं निशाने पर?

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इन कंपनियों के नाम स्पष्ट नहीं किए हैं, लेकिन एनडीटीवी और अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भारत की मध्यम और बड़ी स्तर की निजी पेट्रोलियम कंपनियां हैं, जिनका मुख्यालय दिल्ली, मुंबई और गुजरात जैसे राज्यों में है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से व्यापारिक लेन-देन जारी रखा, विशेषकर तेल और गैस के आयात में। अमेरिका का मानना है कि इस व्यापार के जरिए ईरान को वित्तीय सहायता मिल रही है। जिससे वह अपने रणनीतिक और राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा कर रहा है।

“ईरान कर रहा है आतंकवाद को फंड”

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट तौर पर कहा कि ईरानी सरकार क्षेत्रीय संघर्षों को बढ़ावा देती है और अस्थिरता फैलाने के लिए इस धन का इस्तेमाल करती है। हम इस राजस्व स्रोत को बंद करना चाहते हैं, जिसे ईरान अपने नागरिकों पर दमन और आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के लिए इस्तेमाल करता है। यह बयान साफ करता है कि अमेरिका की यह कार्रवाई सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि रणनीतिक और सुरक्षा कारणों से प्रेरित है। अमेरिका लंबे समय से ईरान पर यह आरोप लगाता रहा है कि वह हिज़्बुल्लाह, हमास जैसे संगठनों को मदद करता है।

भारत की स्थिति और चुनौती

भारत ने 2019 तक ईरान से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात किया था, क्योंकि ईरानी तेल सस्ता और उच्च गुणवत्ता वाला माना जाता है। हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत ने ईरान से तेल आयात में कटौती की थी। लेकिन अब भी कुछ निजी कंपनियों द्वारा कथित तौर पर बैक-चैनल या थर्ड पार्टी के माध्यम से व्यापार जारी रखने की खबरें आ रही थीं। भारत सरकार ने फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर असर डाल सकता है। अमेरिका के साथ व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में खटास बढ़ सकती है। निजी कंपनियों को आर्थिक और कानूनी जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर दबाव

भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 85% आयात करता है। ईरान जैसे देशों से सस्ता तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद रहा है।
अब इन प्रतिबंधों के चलते भारत को वैकल्पिक स्रोतों (जैसे अमेरिका, सऊदी अरब, UAE) पर निर्भर होना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतें अगर बढ़ती हैं, तो घरेलू महंगाई और राजकोषीय घाटा भी प्रभावित हो सकता है। प्रतिबंधित कंपनियों को विदेशी लेन-देन, बैंकिंग सेवाओं और डॉलर में कारोबार करने में दिक्कतें होंगी।

भारत के सामने अब क्या विकल्प हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार भारत को इस संकट से निपटने के लिए अमेरिका से राजनयिक वार्ता करनी चाहिए, ताकि ऊर्जा और रणनीतिक हितों में संतुलन बना रहे। प्रतिबंधित कंपनियों के मामले में जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। ईरान के साथ व्यापारिक रिश्तों को संवेदनशीलता और पारदर्शिता से आगे बढ़ाना होगा। भारत इससे पहले भी अमेरिकी दबाव के चलते ईरान से तेल आयात कम कर चुका है, लेकिन चीन, रूस और कुछ यूरोपीय देश अब भी ईरान से व्यापार करते हैं। ऐसे में भारत के लिए यह एक जटिल कूटनीतिक चुनौती बन सकती है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 31 July 2025, 10:19 AM IST