

रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका ने भारत पर कुल 50% आयात शुल्क लागू कर दिया है, जिससे टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, कृषि, चमड़ा और कालीन जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर भारी असर पड़ा है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के उद्योगों में उत्पादन घटा है और लाखों रोजगार खतरे में हैं।
अमेरिका का भारत पर 50% टैरिफ
New Delhi: 27 अगस्त 2025 से अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए कुल 50% आयात शुल्क (टैरिफ) प्रभाव में आ गए हैं। यह निर्णय भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के चलते लिया गया है। पहले ही 7 अगस्त को ट्रंप प्रशासन ने 25% टैरिफ लगा दिया था, और अब 25% और जोड़ दिए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले कई प्रमुख उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा घटेगी।
इस कदम से भारत के टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, कृषि, चमड़ा, हथकरघा, कालीन और फुटवियर उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। देश के कई राज्यों में इसका असर दिखाई देना शुरू हो गया है, खासकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और हरियाणा जैसे औद्योगिक हब्स में।
भारत सालाना लगभग $10 अरब डॉलर के रत्न और आभूषण अमेरिका को निर्यात करता है। इस क्षेत्र में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी 40% है। पहले जहां अमेरिका का टैरिफ केवल 2.1% था, अब वह बढ़कर 52.1% हो गया है। गुजरात का सूरत, महाराष्ट्र का मुंबई और राजस्थान का जयपुर इस उद्योग के केंद्र हैं। यहां लाखों लोग डायमंड कटिंग, पॉलिशिंग और डिजाइनिंग से जुड़े हैं। 1 लाख से अधिक श्रमिकों के रोजगार पर खतरा बताया जा रहा है।
Share Market: यूएस टैरिफ की सुनामी के सामने नहीं झुका रुपया, डॉलर के मुकाबले दिखाई मजबूती
भारत से अमेरिका को टेक्सटाइल निर्यात का 28% हिस्सा जाता है, जिसकी वार्षिक कीमत $10.3 अरब डॉलर है। अब इस क्षेत्र पर कुल टैरिफ 63% तक पहुंच गया है।
• तमिलनाडु (तिरुपुर)
• हरियाणा (पानीपत, गुरुग्राम)
• पंजाब (लुधियाना)
• उत्तर प्रदेश (नोएडा)
• राजस्थान (जयपुर)
इन क्षेत्रों में हजारों यूनिटों में उत्पादन घटा है और श्रमिकों की छंटनी शुरू हो चुकी है।
टैरिफ पर अमेरिका ने खोले बातचीत के रास्ते, लेकिन अब भारत ने बनाई यह रणनीति
भारत अमेरिका को हर साल $5.6 अरब डॉलर के कृषि और मरीन उत्पाद निर्यात करता है। इनमें झींगा, चावल, मसाले, फलों, सब्जियों और आयुर्वेदिक उत्पाद शामिल हैं। पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब के उत्पादक जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। विशेषकर झींगा उत्पादन में पश्चिम बंगाल के 5,000–6,000 करोड़ के कारोबार पर सीधा असर पड़ा है। 7,000–10,000 नौकरियों के नुकसान की आशंका है।
भारत हर साल अमेरिका को $1.18 अरब डॉलर के लेदर उत्पाद और जूते-चप्पल निर्यात करता है। इस पर 50% टैरिफ लग चुका है।
• कानपुर और आगरा (उत्तर प्रदेश): यहां की लेदर इंडस्ट्री का उत्पादन घट गया है।
• बंटाला लेदर हब (कोलकाता): यहां 5 लाख से अधिक लोग कार्यरत, अमेरिका में मांग घटने से निर्यात घटा है।
कोलकाता के 538 चमड़ा कारखानों, 230 फुटवियर इकाइयों और 436 चमड़ा उत्पाद इकाइयों के संचालन पर संकट गहराया है।
अमेरिका को भारत का कालीन निर्यात $1.2 अरब डॉलर का है और इसमें भारत की हिस्सेदारी 60% है। पहले इस पर सिर्फ 2.9% टैरिफ था, अब यह 53% हो गया है।
• भदोही और मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
• श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
यहां 30 लाख श्रमिकों की रोज़ी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है। भदोही क्षेत्र अकेले ₹6,000 करोड़ का व्यापार करता है।
भारत अमेरिका को हर साल $1.6 अरब डॉलर के हथकरघा उत्पाद भेजता है। इस सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी भी 40% के आसपास है।
• राजस्थान (जोधपुर, जयपुर)
• उत्तर प्रदेश (मुरादाबाद, सहारनपुर)
यहां की फैक्ट्रियों में ऑर्डर रुकने के कारण उत्पादन धीमा हो गया है। चीन, तुर्किये, और मैक्सिको जैसे देश इस गैप को भर सकते हैं।
• रेडीमेड गारमेंट्स, फास्टनर्स, इलेक्ट्रिकल्स, मशीन टूल्स, ऑटो पार्ट्स, लेदर और स्पोर्ट्स गुड्स मिलाकर 20,000 करोड़ का निर्यात खतरे में।
• स्पोर्ट्स और कृषि उपकरण उद्योगों को झटका।
• कानपुर: 1,500 करोड़ के निर्यात ऑर्डर रुक चुके हैं, फैक्ट्रियों में एक या दो शिफ्ट ही चल रही हैं।
• भदोही-मिर्जापुर: कालीन उद्योग में 6,000 करोड़ का कारोबार संकट में, 30 लाख श्रमिकों का रोजगार खतरे में।
• बासमती चावल निर्यात पर असर, लगभग 2.7 लाख टन निर्यात प्रभावित।
• पानीपत का 10,000 करोड़ का टेक्सटाइल कारोबार खतरे में, 2.5 लाख रोजगार संकट में।
• सूरत के रत्न-आभूषण उद्योग में मंदी, ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं।
• 1 लाख से अधिक श्रमिकों के बेरोजगार होने की आशंका।
• सीफूड और चमड़ा उद्योग पर सीधा असर।
• 8,000 करोड़ के समुद्री उत्पाद निर्यात में 5,000–6,000 करोड़ प्रभावित।
• बंटाला लेदर हब में संकट, 5 लाख से अधिक लोग प्रभावित।