

अमेरिका की तरफ से लगाए गए 50% टैरिफ के बावजूद भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई। RBI के हस्तक्षेप और डॉलर इंडेक्स में कमजोरी ने रुपये को सपोर्ट दिया। हालांकि घरेलू शेयर बाजार और विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने तेजी को सीमित रखा।
भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई
New Delhi: अमेरिका की ओर से भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत पैनल्टी टैरिफ लगाए जाने के बावजूद भारतीय रुपये ने आज गुरुवार को विदेशी मुद्रा बाजार में मजबूती दर्ज की। अमेरिकी दबाव और भूराजनीतिक तनाव के बीच रुपये ने डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की बढ़त के साथ 87.59 के स्तर पर शुरुआत की। इससे एक दिन पहले, गणेश चतुर्थी के कारण बाजार बंद था और मंगलवार को रुपया 87.68 के स्तर पर बंद हुआ था।
यह अतिरिक्त टैरिफ बुधवार सुबह भारतीय समयानुसार 9:15 बजे से प्रभाव में आया। अमेरिका का यह कदम रूस से भारत द्वारा तेल खरीदने को लेकर उठाया गया है। पहले से ही भारत पर 25 प्रतिशत का बेस टैरिफ लागू था, जिसे मिलाकर कुल प्रभावी टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है। इसके बावजूद, भारतीय करेंसी ने दबाव में आने से इनकार करते हुए डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से समय रहते हस्तक्षेप किए जाने के कारण रुपये को समर्थन मिला। आरबीआई ने स्थानीय मुद्रा को उसके सर्वकालिक निम्न स्तर तक पहुंचने से पहले ही कदम उठाया, जिससे रुपये की स्थिति मजबूत बनी रही।
डॉलर को भारतीय रुपये ने दी मात
हालांकि, विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट ने रुपये की अधिक तेजी को सीमित कर दिया। इसके बावजूद, रुपये की यह मजबूती बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विदेशी दबावों को सहने में सक्षम है।
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.16 प्रतिशत गिरकर 98.07 पर आ गया। इससे भी रुपये को अप्रत्यक्ष रूप से मजबूती मिली। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 87.56 पर खुला और फिर 87.59 तक पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार की बात करें तो सेंसेक्स 508.16 अंक फिसलकर 80,278.38 पर और निफ्टी 157.35 अंक की गिरावट के साथ 24,554.70 पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने मंगलवार को भारी बिकवाली की और कुल 6,516.49 करोड़ रुपये के शेयर बाजार से निकाले।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में भी गिरावट देखी गई। ब्रेंट क्रूड 0.76 प्रतिशत लुढ़ककर 67.53 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जो ऊर्जा आयातकों के लिए सकारात्मक संकेत है और रुपये को राहत देता है।
अमेरिकी टैरिफ और भूराजनीतिक दबावों के बावजूद रुपये की यह मजबूती दिखाती है कि भारत की मौद्रिक नीति, विदेशी मुद्रा भंडार और आरबीआई की रणनीति ने उसे वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया है। आने वाले दिनों में विदेशी पूंजी प्रवाह और कच्चे तेल की कीमतें रुपये की चाल में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।