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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल चाकुरकर का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे सात बार लातूर से सांसद रहे और लोकसभा के स्पीकर सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। उनके निधन से कांग्रेस ने एक अनुभवी, शांत नेता को खो दिया है।
पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन
Maharashtra: कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता, अनुभवी सांसद और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल चाकुरकर का शुक्रवार सुबह (12 दिसंबर) निधन हो गया। उन्होंने लातूर स्थित अपने आवास "देववर" में सुबह करीब 6:30 बजे अंतिम सांस ली। वे पिछले कई वर्षों से बीमार थे और घर पर ही उनका इलाज चल रहा था। भारत की राजनीति में अपनी सौम्य छवि, प्रशासनिक अनुभव और संवैधानिक समझ के लिए पहचाने जाने वाले शिवराज पाटिल का निधन कांग्रेस के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।
महाराष्ट्र के लातूर जिले के चाकुर क्षेत्र से आने वाले शिवराज पाटिल चाकुरकर दशकों तक कांग्रेस का सबसे भरोसेमंद चेहरा रहे। वह लातूर लोकसभा सीट से लगातार सात बार चुने गए और 1980 से 1999 तक उन्होंने इस क्षेत्र में कांग्रेस का अटूट जनाधार बनाए रखा। उनकी लोकप्रियता ऐसे दौर में भी बरकरार रही जब देश में राजनीतिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही थीं।
शिवराज पाटिल का राजनीतिक करियर किसी भी दृष्टि से साधारण नहीं था। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से साइंस में ग्रेजुएशन और मुंबई विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की थी, जिसने उनके राजनीतिक और संसदीय कार्य को एक मजबूत बौद्धिक आधार दिया। वे 1980 में पहली बार सांसद बने और जल्द ही अपनी सरलता, सौम्यता और संतुलित राजनीतिक रवैये के कारण राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गए।
उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली, जिनमें रक्षा, वित्त, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े अहम मंत्रालय शामिल रहे। उनका सबसे प्रमुख और यादगार कार्यकाल 1991 से 1996 के बीच रहा जब वे लोकसभा के स्पीकर बने। स्पीकर के रूप में उनके व्यवहार, अनुशासन, निष्पक्षता और संसद की कार्यप्रणाली को नए आयाम देने वाले फैसलों के लिए आज भी उन्हें आदर के साथ याद किया जाता है।
साल 2004 में जब कांग्रेस सत्ता में वापस लौटी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तब शिवराज पाटिल को गृह मंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई। उनका यह कार्यकाल चुनौतियों से भरा रहा। 26/11 को हुए मुंबई आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया। इस घटना के बाद सुरक्षा में चूक को लेकर विपक्ष और मीडिया ने सवाल उठाए। देश के हालात को देखते हुए पाटिल ने नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारते हुए गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
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कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक रूप से उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। कांग्रेस अध्यक्ष, वरिष्ठ नेताओं, सांसदों और कार्यकर्ताओं ने उनकी सेवाओं और योगदान का स्मरण करते हुए उन्हें एक सज्जन, विनम्र और कर्तव्यनिष्ठ नेता बताया। पार्टी ने कहा कि शिवराज पाटिल चाकुरकर का जाना कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति के एक युग का अंत है।
लातूर जिले में उनके निधन की खबर फैलते ही शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता ने उनके घर “देववर” पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। प्रशासन ने भी अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक व्यवस्थाएँ शुरू कर दी हैं। संभावना है कि अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को सार्वजनिक रूप से रखा जाएगा ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।