

NCP नेता दीपक मानकर ने केंद्र सरकार से आधार कार्ड में ब्लड ग्रुप शामिल करने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा कि इमरजेंसी हालात में ब्लड ग्रुप की जानकारी तुरंत मिलना जरूरी है, जिससे समय पर इलाज कर लोगों की जान बचाई जा सके। उन्होंने अहमदाबाद प्लेन क्रैश और ऑपरेशन सिंदूर जैसे हादसों का उदाहरण देते हुए इस मांग को मजबूती दी।
प्रतीकात्मक छवि (फाटो सोर्स- इंटरनेट)
Pune: राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता दीपक मानकर ने केंद्र सरकार से आधार कार्ड में नागरिकों का ब्लड ग्रुप शामिल करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस अहम जानकारी को आधार कार्ड का हिस्सा बनाया जाए ताकि आपातकालीन स्थितियों में लोगों की जान बचाई जा सके।
दीपक मानकर का मानना है कि आधार कार्ड देश के हर नागरिक की पहचान का अहम दस्तावेज बन चुका है, जिसे हर जगह इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में यदि इस दस्तावेज में ब्लड ग्रुप जैसी जरूरी मेडिकल जानकारी भी शामिल हो, तो गंभीर हादसों या आपदाओं के समय मरीजों का इलाज तेजी से शुरू किया जा सकता है।
अपनी मांग को मजबूती देने के लिए दीपक मानकर ने दो बड़ी घटनाओं का हवाला दिया- अहमदाबाद प्लेन क्रैश और ऑपरेशन सिंदूर। उनका कहना है कि इन दोनों घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों को खून की जरूरत पड़ी थी। तब देशभर में रक्तदान शिविर लगाए गए। यदि पीड़ितों का ब्लड ग्रुप पहले से ही किसी सरकारी दस्तावेज में दर्ज होता, तो इलाज में काफी तेजी लाई जा सकती थी।
मानकर ने आगे कहा कि भारत में हर साल हजारों लोग सड़क हादसों का शिकार होते हैं। ऐसे मामलों में मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और ब्लड ग्रुप की जानकारी समय पर न मिल पाने के कारण इलाज में देरी होती है, जिससे जान का जोखिम बढ़ जाता है। यदि आधार कार्ड में ब्लड ग्रुप की जानकारी दर्ज हो, तो अस्पतालों और डॉक्टरों को तत्काल इलाज में मदद मिलेगी।
दीपक मानकर ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए लिखा, 'आज आधार कार्ड देश के हर नागरिक के लिए अनिवार्य बन चुका है। चाहे स्कूल में एडमिशन हो या बैंक खाता खोलना, हर जगह आधार की जरूरत होती है। ऐसे में अगर इसमें ब्लड ग्रुप जोड़ दिया जाए, तो यह मेडिकल इमरजेंसी के समय एक महत्वपूर्ण जानकारी साबित हो सकती है। यह न सिर्फ डॉक्टरों और अस्पतालों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि नागरिकों की जान बचाने में भी सहायक बनेगा।'
हालांकि यह मांग अपने आप में बेहद व्यावहारिक और मानवता से जुड़ी हुई है, लेकिन इसके साथ तकनीकी और गोपनीयता (Privacy) से जुड़े मुद्दे भी सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आधार कार्ड में किसी भी अतिरिक्त मेडिकल जानकारी को जोड़ने से पहले नागरिकों की पर्सनल और डेटा सुरक्षा को लेकर व्यापक चर्चा होनी चाहिए।
अगर सरकार इस पर विचार करती है और नागरिकों की सहमति और डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता देती है, तो आधार कार्ड भविष्य में सिर्फ पहचान पत्र ही नहीं बल्कि जीवन रक्षक दस्तावेज भी बन सकता है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेती है।