

सीपी राधाकृष्णन भारत के नए उपराष्ट्रपति चुने गए हैं और उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है।
सीपी राधाकृष्णन
Maharashtra: भारतीय राजनीति में एक अहम बदलाव सामने आया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया है। इस बड़ी जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक राधाकृष्णन 12 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। राधाकृष्णन की जीत के बाद अब गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वे फिलहाल गुजरात के राज्यपाल की जिम्मेदारी निभा रहे हैं और अब साथ में महाराष्ट्र के कार्यवाहक राज्यपाल का कार्यभार भी संभालेंगे।
10 सितंबर, मंगलवार को नए संसद भवन में भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग हुई। मतदान सुबह 10 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक चला। इसके बाद हुई मतगणना में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्षी INDIA गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को अपेक्षाकृत कम वोट मिले।
सीपी राधाकृष्णन
INDIA गठबंधन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा गया था। उन्हें उम्मीद थी कि विपक्षी एकता उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचा सकती है, लेकिन संख्या बल में पिछड़ने के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
सीपी राधाकृष्णन भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे तमिलनाडु से आते हैं और पार्टी संगठन में लंबे समय तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार में उनका योगदान अहम रहा है। राजनीति के अलावा वे समाजसेवा से भी जुड़े रहे हैं। राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल महाराष्ट्र में अपेक्षाकृत शांत और स्थिर रहा। अब उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद उनसे यह उम्मीद की जा रही है कि वे राज्यसभा के सभापति के रूप में संतुलित और निष्पक्ष भूमिका निभाएंगे।
भारत के उपराष्ट्रपति बनने के लिए राधाकृष्णन को राज्यपाल पद से इस्तीफा देना आवश्यक था। उन्होंने संवैधानिक परंपरा का पालन करते हुए तुरंत राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा। राष्ट्रपति ने यह इस्तीफा स्वीकार कर लिया और तत्काल प्रभाव से गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया।
आचार्य देवव्रत पहले हरियाणा के राज्यपाल रह चुके हैं और वर्तमान में गुजरात के राज्यपाल हैं। अब वे गुजरात के साथ-साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल का कार्यभार भी देखेंगे। राष्ट्रपति सचिवालय ने बताया कि जब तक नया राज्यपाल नियुक्त नहीं होता, तब तक आचार्य देवव्रत ही महाराष्ट्र के कार्यवाहक राज्यपाल बने रहेंगे।
उपराष्ट्रपति का पद न केवल देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है, बल्कि यह राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी भी साथ लाता है। ऐसे में राधाकृष्णन अब संसद के ऊपरी सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे। राज्यसभा में सरकार और विपक्ष के बीच अक्सर तीखी बहसें होती रही हैं। ऐसे में उनकी भूमिका एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में महत्वपूर्ण होगी। जानकार मानते हैं कि राधाकृष्णन का राजनीतिक अनुभव और संयम उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाता है।