

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी पूजा से भक्तों को शांति, समृद्धि और सुरक्षा मिलती है। इस दिन मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है और सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
नवरात्रि का तीसरा दिन
New Delhi: नवरात्रि के तीसरे दिन देवी माँ के तृतीय स्वरूप, माँ चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। यह रूप शांति, साहस और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। बाघ पर सवार माँ का तेजस्वी रूप भक्तों को निर्भय बनाता है, जबकि उनका सौम्य स्वरूप शांति और सुख प्रदान करता है। माँ चंद्रघंटा की पूजा से न केवल आत्मबल मिलता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
माँ चंद्रघंटा का रूप अत्यंत आकर्षक और दिव्य है। उनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकता है और उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा नाम प्राप्त हुआ। माँ के दस भुजाओं में विभिन्न शस्त्र होते हैं और उनके गले में सफेद पुष्पों की माला रहती है। जबकि युद्ध में तत्पर रहने वाली माँ का रूप शांत और करुणामयी है, जो भक्तों के लिए एक अभय प्रदान करने वाली शक्ति का प्रतीक है।
माँ चंद्रघंटा के घंटे की ध्वनि विशेष रूप से शत्रुओं, दैत्य और राक्षसों को भयभीत करती है। यह ध्वनि केवल बाहरी शत्रुओं से ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक बाधाओं से भी रक्षा करती है। भक्तों का मानना है कि जैसे ही वे माँ का ध्यान करते हैं, यह दिव्य घंटी की आवाज उनके आसपास की नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर देती है और उन्हें शांति और सुरक्षा का आशीर्वाद देती है।
माँ चंद्रघंटा की साधना से साधक का मन 'मणिपुर चक्र' में प्रवेश करता है, जिससे उसे अलौकिक अनुभव होते हैं। इस साधना से शरीर में दिव्य प्रकाश का विकिरण फैलता है, जो न केवल साधक के लिए, बल्कि उनके आस-पास के लोगों के लिए भी शांति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बनता है। साधक का व्यक्तित्व तेज, आकर्षण और विनम्रता से भरा होता है और उसके अंदर साहस और निर्भयता का विकास होता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। इस दिन माँ को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराकर पुष्प, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें। विशेष रूप से केसर-दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है। सफेद कमल, लाल गुड़हल और गुलाब की माला चढ़ाना माँ को अर्पित करने के लिए उत्तम माना जाता है।
"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।"
"पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।"
माँ चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि का वरदान मिलता है। माँ के आशीर्वाद से पाप और बाधाएं दूर हो जाती हैं। पूजा करने से साहस, निर्भयता, विनम्रता और सौम्यता का विकास होता है, जिससे साधक का व्यक्तित्व और भी प्रभावशाली हो जाता है। इसके अतिरिक्त, साधक को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।