

उच्च रक्तचाप न केवल हृदय और गुर्दे को प्रभावित करता है, बल्कि यह लीवर के लिए भी खतरनाक हो सकता है। अगर समय रहते इसके लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए, तो यह गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है।
लिवर डैमेज (Img: Freepix)
New Delhi: उच्च रक्तचाप को अक्सर हृदय और गुर्दे की बीमारियों से जोड़ा जाता है, लेकिन कई शोधों से यह साबित होता है कि इसका सीधा असर लिवर पर भी पड़ सकता है। लंबे समय तक उच्च रक्तचाप लिवर की रक्त वाहिकाओं को कमज़ोर कर देता है, जिससे फैटी लिवर और लिवर डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ रक्तचाप के रोगियों को समय-समय पर लिवर की जाँच करवाने की सलाह देते हैं।
अगर लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो शरीर में तरल पदार्थ जमा होने लगता है। इससे पेट फूलने लगता है और पैरों में सूजन आ सकती है। हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों में यह समस्या और बढ़ सकती है।
पैरों में सूजन (Img: Google)
लिवर शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। लेकिन जब लिवर खराब हो जाता है, तो विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे शरीर में थकान, कमज़ोरी और ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
लिवर खराब होने के कारण बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगता है। इससे आँखों का सफेद भाग और त्वचा पीली पड़ सकती है। इसे पीलिया का लक्षण भी माना जाता है।
अगर आपको उच्च रक्तचाप के साथ भूख न लगना, उल्टी आना या वज़न कम होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह लिवर खराब होने का संकेत हो सकता है।
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अगर लिवर ठीक से काम नहीं करता है, तो पेशाब का रंग गहरा और मल का रंग हल्का हो सकता है। यह स्थिति लिवर की खराब कार्यप्रणाली का संकेत देती है।
लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबॉलिज़्म से लेकर डिटॉक्सिफिकेशन तक कई काम करता है। अगर उच्च रक्तचाप के साथ लिवर खराब हो जाए, तो शरीर में गंभीर जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं। यही वजह है कि डॉक्टर इन दोनों स्थितियों को नज़रअंदाज़ न करने की सलाह देते हैं।
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