Health Tips: गर्दन के नीचे कूबड़ क्यों बनता है? जानिए कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

आजकल कई लोगों को गर्दन के ठीक नीचे और पीठ के ऊपरी हिस्से पर एक उभार दिखाई देता है, जिसे आमतौर पर “नेक हंप” कहा जाता है। चिकित्सा विज्ञान में इसे काइफोसिस या बफैलो हंप कहते हैं। यह समस्या सिर्फ़ दिखने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियों पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 31 August 2025, 2:49 PM IST
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New Delhi: रीढ़ की हड्डी के विशेषज्ञों के अनुसार, हमारी रीढ़ की हड्डी में हल्का सा झुकाव होना सामान्य है। लेकिन जब यह झुकाव 45 डिग्री से ज़्यादा हो जाता है, तो गर्दन के नीचे एक उभार या कूबड़ बनने लगता है। यह समस्या अक्सर उन लोगों में देखी जाती है जो लंबे समय तक झुककर मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं।

मुंबई के रीढ़ की हड्डी विशेषज्ञ के अनुसार, घंटों एक ही मुद्रा में बैठे रहना, गर्दन झुकाकर फ़ोन देखते रहना और गलत तरीके से काम करने से मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। धीरे-धीरे वहाँ चर्बी और हड्डियों का असामान्य उभार दिखाई देने लगता है।

Hump ​​below the neck (Img: Google)

गर्दन के नीचे कूबड़ (Img: Google)

अन्य कारण भी ज़िम्मेदार हैं

सिर्फ़ गलत तरीके से बैठने की आदत ही नहीं, बल्कि कई चिकित्सीय और जीवनशैली संबंधी कारण भी इस समस्या को बढ़ावा देते हैं:

  • भारी बैग उठाने से कंधों और रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस - हड्डियों की कमज़ोरी से रीढ़ की हड्डी में चोट लगने और झुकने का ख़तरा बढ़ जाता है।
  • मोटापा - ज़्यादा वज़न रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालता है।

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  • हार्मोनल कारण - पीसीओएस, लंबे समय तक स्टेरॉयड का सेवन और कुछ आनुवंशिक कारण।
  • बढ़ती उम्र - हड्डियों की कमज़ोरी के कारण यह समस्या बुज़ुर्गों में ज़्यादा देखने को मिलती है।

नवी मुंबई स्थित अपोलो अस्पताल के डॉक्टर बताते हैं कि इस उभार को "बफ़ेलो हंप" कहते हैं। यह उन लोगों में ज़्यादा दिखाई देता है जो दिन भर बैठे रहते हैं और मोबाइल-लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं।

क्या यह खतरनाक है?

शुरुआती दौर में, यह सिर्फ़ देखने में समस्या लग सकती है, लेकिन समय के साथ यह रीढ़ की संरचना को स्थायी रूप से नुकसान पहुँचा सकती है। कुछ मामलों में, लगातार दर्द, थकान, मांसपेशियों में अकड़न और साँस लेने में तकलीफ़ हो सकती है। अगर समस्या बढ़ जाए, तो किसी विशेषज्ञ से इलाज करवाना ज़रूरी है।

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इससे कैसे बचें?

  • हमेशा सीधे बैठने और सही मुद्रा बनाए रखने की आदत डालें।
  • हर 30-40 मिनट में उठें और थोड़ा टहलें या स्ट्रेचिंग करें।
  • ज़्यादा भारी बैग न उठाएँ।
  • मज़बूत हड्डियों के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें।
  • अगर दर्द बढ़ रहा है या उभार बड़ा हो रहा है, तो तुरंत किसी रीढ़ के डॉक्टर से संपर्क करें।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 31 August 2025, 2:49 PM IST