

कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी व्रत 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, रमा एकादशी व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है।
रमा एकादशी व्रत कथा
New Delhi: आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ रमा एकादशी व्रत मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इसे भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर एक हजार अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी की तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 10:35 बजे शुरू हुई थी और 17 अक्टूबर को सुबह 11:12 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि 17 अक्टूबर को होने के कारण आज ही व्रत रखा जा रहा है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी व्रत
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पौराणिक कथा के अनुसार, राजा मुचुकुंद नामक धर्मात्मा राजा थे जो युद्ध और पाप कर्मों से मुक्ति पाना चाहते थे। एक दिन उनके दरबार में देवर्षि नारद आए और उन्होंने राजा को रमा एकादशी व्रत का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह व्रत भगवान विष्णु और देवी रमा (लक्ष्मी) को प्रसन्न करने वाला है और इससे व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
राजा मुचुकुंद ने श्रद्धा भाव से यह व्रत किया और इसके प्रभाव से न केवल पापों से मुक्त हुए बल्कि स्वर्ग लोक की प्राप्ति भी की।
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शास्त्रों के अनुसार रमा एकादशी व्रत से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी स्वयं भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
यह व्रत जीवन से नकारात्मक ऊर्जा, पाप और दुखों को दूर कर सुख-शांति लाता है। इसलिए इसे लक्ष्मी प्रसन्न एकादशी भी कहा जाता है।