

करवाचौथ का निर्जला व्रत परंपरा और आस्था से जुड़ा है, लेकिन क्या यह शरीर के लिए सुरक्षित है? जानिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका असर, किन लोगों को व्रत नहीं रखना चाहिए और कैसे आप इसे स्वास्थ्य के हिसाब से संतुलित तरीके से निभा सकती हैं।
करवाचौथ का विज्ञान
New Delhi: भारत में करवाचौथ का त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए समर्पण, प्रेम और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चांद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं लेकिन क्या बिना पानी और भोजन के पूरा दिन बिताना शरीर के लिए सही है? आइए इसे वैज्ञानिक और स्वास्थ्य दृष्टि से समझते हैं।
जब शरीर को लंबे समय तक पानी और पोषण नहीं मिलता, तो डिहाइड्रेशन, ब्लड प्रेशर में कमी, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्म मौसम या थकावट की स्थिति में यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रहना जरूरी है क्योंकि पानी की कमी से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और सिर दर्द जैसी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
करवाचौथ का विज्ञान
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, उपवास शरीर को डिटॉक्स करने और मेटाबॉलिज्म सुधारने में मदद करता है, लेकिन यह तभी फायदेमंद है जब फास्टिंग संतुलित तरीके से की जाए। इंटरमिटेंट फास्टिंग या हल्का उपवास शरीर को रीसेट करने में मदद कर सकता है, लेकिन करवाचौथ जैसा निर्जला व्रत शरीर पर अत्यधिक दबाव डाल सकता है।
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डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के अनुसार व्रत रखने का तरीका चुनना चाहिए। अगर किसी को डायबिटीज, लो बीपी या थायरॉयड जैसी समस्या है, तो निर्जला व्रत उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में पानी या फल का सेवन करते हुए भी व्रत रखा जा सकता है।
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