Dussehra 2025: कब मनाया जाएगा दशहरा? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूरी डिटेल

हर साल की तरह इस बार भी दशहरा (विजयादशमी) पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाएगा। वर्ष 2025 में यह पर्व 2 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 24 September 2025, 12:04 PM IST
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Dushahra 2025: हर साल की तरह इस बार भी दशहरा (विजयादशमी) पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाएगा। वर्ष 2025 में यह पर्व 2 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यही वह दिन है जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी।

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध दशमी तिथि को किया था। रावण के दस सिर थे, इसलिए इस दिन को 'दश-हरा' कहा जाता है, अर्थात दस सिरों वाले रावण की हार। इसके अलावा, यह दिन मां दुर्गा की विजय का प्रतीक भी है, जिन्होंने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर दशमी के दिन उस पर विजय प्राप्त की थी।

इस बार नवरात्र 10 दिन क्यों?

इस बार का एक विशेष संयोग यह भी है कि सामान्यतः नवरात्र नौ दिन का होता है, लेकिन 2025 में यह 10 दिन तक चलेगा। दशमी तिथि का आरंभ 1 अक्टूबर की शाम 7:01 बजे से हो रहा है और समापन 2 अक्टूबर की शाम 7:10 बजे पर होगा। उदया तिथि (सूर्योदय की तिथि) के अनुसार ही 2 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।

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दशहरा 2025 का शुभ मुहूर्त

  • पूजन मुहूर्त: दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक (कुल अवधि: 47 मिनट)
  • अपराह्न पूजा का समय: दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक
  • रावण दहन मुहूर्त: सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में
  • सूर्यास्त का समय: शाम 6:05 बजे, इसके बाद रावण दहन किया जाएगा

इस दिन किसकी पूजा होती है?

  • श्रीराम की पूजा कर जीवन में धर्म, सत्य और विजय की प्रेरणा ली जाती है।
  • मां दुर्गा की पूजा कर शक्ति, बुद्धि और विजय की कामना की जाती है।
  • अस्त्र-शस्त्र की पूजा कर उन्हें ऊर्जा और पवित्रता प्रदान की जाती है।
  • नवग्रहों को संतुलित करने के लिए भी विशेष पूजा की जाती है।

पूजन के बाद, कलश का जल पूरे घर में छिड़कना चाहिए जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाए। नवरात्र में जिस स्थान पर पूजा हुई है, वहां घी का दीपक पूरी रात जलाना शुभ माना जाता है।

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दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धर्म, शक्ति और सद्गुणों की विजय का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में जीत अच्छाई की ही होती है। 2025 में यह पर्व खास संयोगों के साथ आ रहा है, ऐसे में इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाना शुभ फलदायक रहेगा।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 24 September 2025, 12:04 PM IST