Dhanteras 2025: क्यों मनाया जाता है धनतेरस? जानिए इसका इतिहास और महत्व

धनतेरस दीपावली की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन भगवान धन्वंतरि के जन्म की पूजा की जाती है और सोना-चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। जानिए क्यों मनाई जाती है धनतेरस, इसका इतिहास क्या है और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं क्या कहती हैं।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 11 October 2025, 2:51 PM IST
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New Delhi: धनतेरस हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व माना जाता है। यह त्योहार दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की आराधना का दिन है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या नई वस्तुएं खरीदने से घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है। धनतेरस को धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन यम दीपदान की परंपरा भी निभाई जाती है ताकि घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश न हो।

धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

धनतेरस का त्योहार भगवान धन्वंतरि के जन्म से जुड़ा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने संसार को औषधि और स्वास्थ्य का ज्ञान दिया, इसलिए उन्हें आयुर्वेद और चिकित्सा का देवता माना गया। इसी कारण इस दिन को धन्वंतरि जयंती और धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु की कामना का प्रतीक है।

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धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

धनतेरस का इतिहास और नाम की उत्पत्ति

“धनतेरस” दो शब्दों से बना है “धन” यानी संपत्ति और “तेरस” यानी तेरहवीं तिथि। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। प्राचीन काल से ही यह मान्यता है कि इस दिन नया सामान, विशेष रूप से सोना, चांदी या बर्तन खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन की वृद्धि होती है।

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भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। शास्त्रों में लिखा है कि जो व्यक्ति इस दिन धन्वंतरि भगवान की आराधना करता है, उसके जीवन से रोग, शोक और दरिद्रता दूर होती है। पूजा के समय दीप जलाकर भगवान को तुलसी पत्र और धूप अर्पित करना शुभ माना गया है।

यम दीपदान की परंपरा

धनतेरस की शाम को यमराज के नाम पर दीपदान करने की परंपरा भी है। ऐसा माना जाता है कि घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दीपक को “यम दीप” कहा जाता है और यह पूरे परिवार की रक्षा का प्रतीक है।

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धनतेरस पर खरीदारी का महत्व

धनतेरस के दिन नई वस्तुएं खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, झाड़ू, इलेक्ट्रॉनिक सामान या वाहन खरीदने से घर में धन और सौभाग्य का आगमन होता है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं पूरे वर्ष शुभ फल देती हैं।

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  • 11 October 2025, 2:51 PM IST