Happy Diwali 2024: जानिये धनतेरस और दीपावली पर दीपक का विशेष महत्व और विधि-विधान

डीएन संवाददाता

अंधकार को दूर कर प्रकाश का प्रतीक दीया होता है। माना जाता है कि दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये खास रिपोर्ट

दीपोत्सव दिवाली की तैयारियों में जुटे हैं लोग
दीपोत्सव दिवाली की तैयारियों में जुटे हैं लोग


महराजगंज: अंधकार को दूर कर प्रकाश का प्रतीक दीया होता है। माना जाता है कि दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में धन-धान्य की वर्षा होती है। संस्कृत शब्द दीपावली, जिसका अर्थ है "रोशनी की पंक्ति" से उत्पन्न दिवाली, चमकीले जलते हुए मिट्टी के दीयों के लिए जानी जाती है, जिन्हें लोग अपने घरों के बाहर रखते हैं। 

दीया रखने के तरीके 
पहला दीया किसी ऊंचे स्थान, दूसरा घर की रसोई में, तीसरा दीपक पीपल के पेड़ के नीचे, चौथा दीपक पानी रखने के स्थान के पास और पांचवा दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए। इसके अलावा आप 7,14 या फिर 17 दीपक भी इस दिन जला सकते हैं। दीपावली, जिसे दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। 

अंधकार पर प्रकाश की जीत 
भारत में प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है जो देशभर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई, अज्ञानता पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। हमारे घर में, हर साल त्यौहार के बाद, हम सभी दीयों को साबुन और पानी से धोते हैं । तेल को हटाने में ज़्यादा मेहनत नहीं लगती। फिर हम उन्हें अच्छी तरह सूखने देते हैं। जब वे पूरी तरह सूख जाते हैं, तो हम उन पर गेरू लगाते हैं जो लाल मिट्टी का रंग होता है।

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दीवाली और धनतेरस के पावन अवसर पर तेल और घी, नमक, लोहे और धारदार चीजें, काले रंग की वस्तुएं, टूटी हुई वस्तुएं, आदि चीजों का दान पूर्णता: वर्जित माना गया है। इससे धन की देवी माता लक्ष्मी और कुबेर देव रुष्ट हो सकते हैं, क्योंकि ये सभी चीजें अशुभता का प्रतीक मानी जाती हैं। 

भूलकर भी न करें ये काम 
इस शुभ दिन पर भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे-मांस, प्याज, लहसुन और अंडे आदि का सेवन न करें। अपनी पत्नी, मां, बहन और बेटी का अनादर न करें, क्योंकि इससे जीवन में अशुभता आती है। दिवाली के दिन किसी को पैसे उधार न दें।

आपको अपने परिवार में किसी करीबी व्यक्ति की मृत्यु के बाद दिवाली नहीं मनानी चाहिए। दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं, जैनियों, सिखों और कुछ बौद्धों द्वारा मनाया जाने वाला पांच दिवसीय त्यौहार है। यह हर साल अक्टूबर और नवंबर के बीच शरद ऋतु में मनाया जाता है, जिसकी तिथि हर साल बदलती रहती है।

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पंचांग के अनुसार
पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाते हैं। इस दिन घरों को दीपक, मोमबत्ती, झालरों से सजाने के साथ-साथ गणेश- लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। मां लक्ष्मी के अलावा इस दिन कुबेर भगवान की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस बार 31 अक्टूबर को है।










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