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आज फिटनेस हो, फैशन हो, खान-पान हो या मानसिक स्वास्थ्य हर क्षेत्र में लोगों का फोकस पहले से बिल्कुल अलग नजर आता है। युवाओं में फिटनेस ऐप्स का इस्तेमाल भी बढ़ा है, जिनसे लोग अपने स्टेप्स, नींद, हार्ट रेट और कैलोरी बर्न तक ट्रैक करते हैं।
युवाओं में बढ़ता फिटनेस क्रेज
New Delhi: पिछले एक दशक में लोगों की जीवनशैली में जितना बदलाव आया है, उतना शायद किसी और दौर में नहीं देखा गया। तकनीक की तेजी, सोशल मीडिया का असर, महामारी के बाद बदली सोच और युवा पीढ़ी की नई प्राथमिकताओं ने मिलकर हमारी रोजमर्रा की आदतों को पूरी तरह बदल दिया है। आज फिटनेस हो, फैशन हो, खान-पान हो या मानसिक स्वास्थ्य- हर क्षेत्र में लोगों का फोकस पहले से बिल्कुल अलग नजर आता है।
कुछ साल पहले तक फिटनेस को सिर्फ बॉडी बनाने या जिम जाने तक सीमित माना जाता था, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। महामारी के बाद लोगों को समझ आया कि मजबूत शरीर और अच्छी इम्युनिटी कितनी जरूरी है। इसी वजह से योगा, रनिंग, पिलाटे, जुम्बा और होम वर्कआउट का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है।
स्मार्टवॉच और फिटनेस ऐप्स का इस्तेमाल भी बढ़ा है, जिनसे लोग अपने स्टेप्स, नींद, हार्ट रेट और कैलोरी बर्न तक ट्रैक करते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग, हाई-प्रोटीन डाइट, ग्रीन टी और डिटॉक्स वॉटर जैसी आदतें कई लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी हैं।
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फिटनेस का मतलब अब सिर्फ शरीर नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी है। मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और थेरेपी अब सामान्य शब्द बन चुके हैं। खासकर युवा खुद के मेंटल वेलनेस को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में “कंफर्ट” सबसे बड़ा ट्रेंड बन गया है। पहले लोग स्टाइलिश दिखने के लिए असहज कपड़े पहन लेते थे, लेकिन अब ओवरसाइज़्ड टी-शर्ट, ढीले जींस, स्नीकर्स और हल्के कपड़ों का दौर है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फैशन इन्फ्लुएंसर्स द्वारा दिखाए गए स्टाइल्स को लोग तुरंत अपनाते हैं।
स्टाइल अब आराम और पर्यावरण के साथ (सोर्स- गूगल)
इसके अलावा “सस्टेनेबल फैशन” का चलन भी बढ़ा है। लोग अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए रिसाइकल्ड फैब्रिक, हैंडमेड कपड़े और कम-प्रोडक्शन ब्रांड्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कपड़ों को बार-बार उपयोग करना और कम खरीदना भी अब नई सोच कहलाती है।
वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन क्लासेस, डिजिटल पेमेंट, E-शॉपिंग और OTT प्लेटफॉर्म ने लोगों की दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया। आज लगभग हर काम मोबाइल पर हो जाता है—टिकट बुकिंग, बैंकिंग, मीटिंग, खाना मंगाना, दवा खरीदना, यहां तक कि दोस्ती और रिश्ते भी अब सोशल मीडिया के जरिए बनते और चलते हैं।
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हालांकि, इसके साथ स्क्रीन टाइम भी बहुत बढ़ा है। इसीलिए अब लोग डिजिटल डिटॉक्स जैसे कदम भी उठा रहे हैं- जैसे नो-फोन आवर्स, सोशल मीडिया ब्रेक्स और वीकेंड डिटॉक्स।
लोग अब तला-भुना खाना कम और हेल्दी खाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सलाद, दलिया, सूप, प्रोटीन-शेक, ड्राय फ्रूट्स और फ्रूट-बेस्ड ब्रेकफास्ट आम हो गया है।ऑर्गेनिक सब्जियों और प्लांट-बेस्ड फूड की मांग बढ़ी है। शुगर-फ्री, ग्लूटेन-फ्री और लो-कार्ब प्रोडक्ट्स भी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। ये बदलाव खासकर स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता के कारण आए हैं।