

नेपाल में Gen-Z आंदोलन के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने पीएम पद ठुकराते हुए कहा कि वह चुनाव जीतकर सत्ता में आना चाहते हैं। शाह ने अंतरिम सरकार का समर्थन किया और युवाओं से धैर्य रखने की अपील की।
बालेंद्र शाह
Kathmandu: नेपाल में हालिया Gen-Z आंदोलन के बाद बड़ा राजनीतिक बदलाव सामने आया है। देश की बागडोर अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को सौंपी गई है। इस बीच काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव क्यों ठुकराया।
नेपाल में हालिया Gen-Z आंदोलन के बाद बड़ा राजनीतिक बदलाव सामने आया है। देश की बागडोर अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को सौंपी गई है। इस बीच काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव क्यों ठुकराया।
बालेंद्र शाह ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर एक लंबा पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने साफ कहा कि नेपाल इस समय एक अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहा है। उन्होंने युवाओं, खासकर Gen-Z से धैर्य बनाए रखने की अपील की। शाह ने लिखा— “प्रिय जेन-जी और सभी नेपालियों से मेरा अनुरोध है कि देश इस समय अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहा है। आप अब एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। कृपया इस समय घबराएं नहीं; धैर्य रखें। अब देश को एक अंतरिम सरकार मिलने वाली है, जो देश में नए चुनाव कराएगी।”
बालेंद्र शाह नहीं बने नेपाल के पीएम
ने आगे लिखा कि वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपने के प्रस्ताव का पूरी तरह समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह युवाओं की समझ, परिपक्वता और एकता को दर्शाता है। शाह ने इसे नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम बताया।
काठमांडू मेयर ने अपने साथियों और समर्थकों से अपील की कि इस समय किसी भी तरह की जल्दबाजी से बचना जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश को युवाओं के जुनून, सोच और ईमानदारी की स्थायी रूप से जरूरत है, अस्थायी रूप से नहीं। इसके लिए चुनाव होंगे और जनता नया जनादेश देगी। शाह के अनुसार, यही लोकतांत्रिक व्यवस्था का सही रास्ता है।
बालेंद्र शाह ने साफ किया कि वह अंतरिम सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहते। उनका मानना है कि उनका नेतृत्व चुनाव जीतकर जनता के समर्थन से आना चाहिए, न कि अंतरिम व्यवस्था से। यही वजह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव ठुकराया। शाह का कहना है कि चुनाव के जरिए सत्ता में आने से जनता पर उनकी पकड़ मजबूत होगी और लोकतंत्र भी सशक्त होगा।
अब अंतरिम सरकार का मुख्य काम होगा जल्द से जल्द चुनाव कराना और तब तक देश में शांति व्यवस्था बनाए रखना। राष्ट्रपति से संसद भंग करने और नए जनादेश की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की गई है। नेपाल का यह राजनीतिक बदलाव न केवल देश की लोकतांत्रिक यात्रा में नया अध्याय है, बल्कि युवाओं की शक्ति और उनकी निर्णायक भूमिका को भी उजागर करता है।