

नेपाल में अंतरिम सरकार गठन को लेकर देर रात शीतल निवास में हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति की संभावना जताई जा रही है।
नेपाल का राष्ट्रपति भवन
New Delhi: नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच अंतरिम सरकार गठन को लेकर देर रात शीतल निवास (राष्ट्रपति भवन) में एक महत्वपूर्ण बैठक शुरू हुई है। इस बैठक में प्रधान सेनापति जनरल अशोक राज सिग्देल, पूर्व चीफ जस्टिस और संभावित प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, राष्ट्रीय सभा अध्यक्ष नारायण दहाल, स्पीकर देवराज घिमिरे और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश सिंह राउत शामिल हैं। राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने कानूनी परामर्श और राजनीतिक चर्चा के लिए शीर्ष नेताओं और संविधान विशेषज्ञों को भी बुलाया है।
इस बैठक में सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंपने पर सहमति बनने की संभावना है। इसके साथ ही संसद विघटन पर भी चर्चा हुई है और अगले छह महीने में आम चुनाव कराने का भी निर्णय लिया गया है। नेपाल के प्रमुख दलों जैसे नेपाली कांग्रेस और माओवादी के नेताओं के साथ राष्ट्रपति का संवाद जारी है। जिसमें माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड, कांग्रेस उपसभापति पूर्ण बहादुर खड़का, महामंत्री गगन थापा और पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल शामिल हैं। हालांकि, संविधान विघटन को लेकर सभी दलों में एकराय नहीं बन पाई है।
नेपाल में बवाल जारी: बलिया के टीडी कॉलेज के तीन प्रोफेसर फंसे, सरकार से लगाई गुहार
नेपाल के युवा, खासकर जनरेशन-जेड इस राजनीतिक बदलाव के प्रमुख प्रतिनिधि बनकर उभरे हैं। वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाए और छह माह के भीतर नए संसदीय चुनाव कराए जाएं। युवा वर्ग उम्रदराज नेताओं से तंग आ चुका है और खासतौर पर 73 वर्षीय केपी शर्मा ओली की जगह 72 वर्षीय सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहा है।
जनआक्रोश की आग में जल रहे नेपाल के बीच जानिए कहां जाकर छिपे पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली?
हालांकि, नेपाल में हालिया प्रदर्शनों ने भारी तबाही मचाई है। व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद तख्तापलट जैसा राजनीतिक संकट पैदा हो गया है, जो देश को गहरे संकट में धकेल रहा है। लगभग 3 करोड़ की आबादी वाले इस देश में यह सवाल उठ रहा है कि इस राजनीतिक उथल-पुथल से नेपाल कैसे उबर पाएगा। युवा वर्ग का कहना है कि उनका मकसद संविधान को मिटाना नहीं बल्कि संसद को भंग करना है, जिससे नया चुनाव हो सके और लोकतंत्र पुनः स्थापित हो। नेपाल की राजनीतिक स्थिरता के लिए यह वक्त बेहद नाजुक है।