

सोशल मीडिया बैन के बाद नेपाल में भड़का युवा आंदोलन अब हिंसक हो चुका है। इसी बीच पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के गायब होने की चर्चा ने तूल पकड़ लिया है।
पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली
Kathmandu: नेपाल इस वक्त इतिहास के सबसे बड़े जनविद्रोह की चपेट में है। देशभर में युवाओं का गुस्सा उबाल पर है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जो अब उग्र रूप ले चुके हैं। इस जनआंदोलन की आग में वर्तमान सरकार ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी झुलसते नजर आ रहे हैं।
नेपाल के प्रधानमंत्री रहे केपी शर्मा ओली को सोशल मीडिया पर नियंत्रण के फैसले के चलते भारी विरोध झेलना पड़ा। जैसे ही जनता का गुस्सा सड़कों पर फूटा, ओली और उनके कई मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद अचानक ओली गायब हो गए और पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए कि वह चीन या दुबई में शरण ले चुके हैं। लेकिन अब इस पर से पर्दा उठ चुका है।
केपी शर्मा ओली ने खुद एक पत्र जारी कर इन अफवाहों को खारिज किया है। उन्होंने बताया कि वह शिवपुरी में ही हैं और नेपाली सेना के सुरक्षा घेरे में रह रहे हैं। उनका कहना है कि वे देश छोड़कर कहीं नहीं भागे हैं, बल्कि वर्तमान स्थिति को समझने और सुरक्षित रहने के लिए शिवपुरी में अस्थायी तौर पर ठहरे हुए हैं।
अपने पत्र में ओली ने आंदोलन को 'गहरी साजिश' बताया और कहा कि यह एक योजनाबद्ध प्रयास है ताकि उन्हें और उनके फैसलों को बदनाम किया जा सके। उन्होंने लिखा, 'अगर मैं अडिग न रहता तो कब का हार मान चुका होता।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण, लिपुलेक, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा घोषित करना जैसे कई राष्ट्रीय हित के निर्णय उन्होंने देश की एकता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए किए।
जलता नेपाल (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
ओली ने अपने पत्र में युवाओं और बच्चों को याद करते हुए लिखा कि वह इस सन्नाटे में भी देश के भविष्य की चिंता कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश को अराजकता की ओर ले जाने वाले तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है।
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नेपाल में इस समय हालात बेहद संवेदनशील हैं। जनता ने प्रधानमंत्री आवास से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कब्जा कर लिया है। सत्ताधारी नेताओं और विपक्ष के बड़े चेहरों पर भीड़ हमला कर रही है। कई मंत्रियों की सार्वजनिक रूप से पिटाई हो चुकी है। ऐसे में ओली का सेना के संरक्षण में रहना बताता है कि स्थिति कितनी गंभीर है।
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अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओली दोबारा राजनीति में वापसी की कोशिश करेंगे या इस संकट को शांत होने के बाद ही सार्वजनिक रूप से सामने आएंगे।