Gen-Z ने रखा नए नाम का प्रस्ताव, कुलमन घिसिंग बन सकते हैं नेपाल के अंतरिम पीएम

नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता के बीच जनरेशन-जेड (Gen-Z) ने नए अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कुलमन घिसिंग का नाम प्रस्तावित किया है। पहले पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम चर्चा में था, लेकिन उनकी उम्र और संवैधानिक अयोग्यता के कारण विरोध बढ़ा।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 11 September 2025, 2:05 PM IST
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Kathmandu: नेपाल में जारी राजनीतिक संकट और जनरेशन-जेड के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच नया राजनीतिक मोड़ आया है। अब इस आंदोलन के अगुआ Gen-Z गुट ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कुलमन घिसिंग का नाम आगे रखा है।

सुशीला कार्की का नाम था चर्चा में

बता दें कि पहले इस पद के लिए पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम चर्चा में था, लेकिन बाद में उनके नाम पर विरोध शुरू हो गया। जनरेशन-जेड की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में बताया गया कि संविधान के अनुसार पूर्व चीफ जस्टिस या जज इस पद के लिए नियुक्ति के योग्य नहीं होते। साथ ही, 70 वर्ष से अधिक उम्र के होने के कारण वे Gen-Z के विचारों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व भी नहीं कर सकतीं। इसलिए उनका नाम अस्वीकार कर दिया गया।

बालेंद्र शाह ने नहीं दिखाई रुचि

इसके अलावा, बालेन्द्र शाह ने इस पद के लिए रुचि नहीं दिखाई है, जबकि हर्क साम्पाङ के भी व्यापक स्तर पर नेतृत्व की संभावना कम आंकी जा रही है। इसी कारणों से कुलमन घिसिंग को इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माना जा रहा है।

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कौन हैं कुलमान घिसिंग?

कुलमन घिसिंग नेपाल में अपने संघर्ष और नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं। उन्हें विशेष रूप से लोडशेडिंग खत्म करने और देश में ऊर्जा संकट को दूर करने वाले एक देशभक्त और जनप्रिय नेता के रूप में जाना जाता है। उनके नाम को लेकर Gen-Z गुट में व्यापक समर्थन है और वे अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति की जोरदार वकालत कर रहे हैं।

यह कदम नेपाल में राजनीतिक स्थिरता लाने और जन आंदोलन को शांति की दिशा में मोड़ने के लिए उठाया गया माना जा रहा है। वर्तमान में देश में जारी विरोध प्रदर्शनों और अस्थिरता के कारण जनता के बीच बढ़ती चिंता के बीच यह प्रस्ताव सरकार और विपक्ष दोनों के लिए एक संकेत माना जा रहा है।

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हालांकि, नेपाल की राजनीतिक पार्टियां इस प्रस्ताव पर क्या प्रतिक्रिया देंगी, यह अभी देखना बाकी है। फिलहाल Gen-Z ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने आंदोलन में कटिबद्ध हैं और देश में सुधार लाने के लिए जरूरी कदम उठाने में पीछे नहीं हटेंगे।

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