

गाजा में बढ़ते संघर्ष और बंधकों की स्थिति को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीखा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि हमास अब कोई सौदा नहीं करना चाहता, क्योंकि उसके पास अब सौदेबाजी के लिए कोई ठोस कारण नहीं बचा है। वहीं फ्रांस के फिलीस्तीन को मान्यता देने के फैसले पर भी ट्रंप ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
प्रतीकात्मक फोटो
New Delhi: गाजा पट्टी में जारी हिंसा और बंधकों की जटिल स्थिति के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि हमास अब युद्धविराम को लेकर कोई सौदा नहीं करना चाहता। वॉशिंगटन से स्कॉटलैंड रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "अब हम अंतिम बंधकों तक पहुंच गए हैं और हमास को पता है कि इसके बाद क्या होने वाला है।" उन्होंने संकेत दिया कि बचे हुए बंधकों के बाद हमास पर सीधी और कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि "अब हमास के नेताओं को शिकार की तरह ढूंढा जाएगा।" इससे साफ है कि अमेरिका की नीति में एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया जा सकता है, खासकर जब युद्धविराम की संभावनाएं क्षीण होती जा रही हैं।
शांति प्रयासों को फिलहाल विराम दें
इस बयान से एक दिन पहले, ट्रंप के मध्य-पूर्व शांति दूत स्टीव विटकॉफ ने बताया था कि अमेरिका ने अपनी वार्ताकार टीम को वापस बुला लिया है। उन्होंने कहा कि अब टीम से दोबारा सलाह-मशविरा किया जाएगा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका मध्य-पूर्व में अपने शांति प्रयासों को फिलहाल विराम दे रहा है।
वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वे अब बंधकों को वापस लाने के लिए "विकल्पों पर विचार" कर रहे हैं। यह बयान उस समय आया है जब इजरायल और अमेरिका दोनों ही युद्धविराम वार्ता से पीछे हट गए हैं।
फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र देश की मान्यता
इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की घोषणा ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। जब ट्रंप से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "इस फैसले का कोई खास महत्व नहीं है," हालांकि उन्होंने मैक्रों को "एक अच्छा इंसान" बताया।
जर्मनी फिलीस्तीन की सैद्धांतिक मान्यता
फ्रांस की इस घोषणा के बाद ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने गाजा में बढ़ते मानवीय संकट, विशेष रूप से भुखमरी की स्थिति को लेकर आपात बैठक बुलाई है। जहां ब्रिटेन और जर्मनी फिलीस्तीन की सैद्धांतिक मान्यता का समर्थन करते हैं, वहीं जर्मनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अभी फ्रांस जैसा कदम नहीं उठाएगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने फिलीस्तीनी राज्य को "उनका अटूट अधिकार" बताया, लेकिन फिलहाल औपचारिक मान्यता नहीं दी गई है।