

गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के शेयरों में आई तेज़ी ने सीईओ सुंदर पिचई को अरबपति बना दिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार उनकी कुल संपत्ति अब 1.1 अरब डॉलर के पार पहुंच चुकी है। जानें इस सफलता की पूरी कहानी और AI में कंपनी के जबरदस्त निवेश का असर।
अरबपति बने सुंदर पिचई (सोर्स-गूगल)
New Delhi: गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक के शेयरों में लगातार आई तेजी ने न केवल निवेशकों को भारी मुनाफा दिलाया है, बल्कि कंपनी के सीईओ सुंदर पिचई को भी एक नया मुकाम दिला दिया है। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार पिचई की कुल नेटवर्थ अब 1.1 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है, जिससे वह अब आधिकारिक तौर पर अरबपतियों की सूची में शामिल हो चुके हैं।
अल्फाबेट में मामूली हिस्सेदारी, लेकिन भारी संपत्ति
53 वर्षीय सुंदर पिचई, जो मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं, के पास अल्फाबेट में महज 0.02% हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत लगभग 440 मिलियन डॉलर आंकी गई है। इसके अलावा उनकी अधिकांश संपत्ति नकद और अन्य निवेश में है। पिछले 10 वर्षों में पिचई ने करीब 650 मिलियन डॉलर मूल्य के शेयर बेचे हैं। ब्लूमबर्ग का मानना है कि यदि उन्होंने अपने सभी शेयर अब तक होल्ड किए होते, तो आज उनकी कुल होल्डिंग्स की कीमत 2.5 अरब डॉलर से अधिक होती।
AI पर फोकस का दिखा असर
पिचई की इस जबरदस्त कामयाबी के पीछे एक बड़ा कारण है उनका AI पर लगातार फोकस। अक्टूबर 2024 में दिए एक इंटरव्यू में पिचई ने बताया था कि जब उन्होंने CEO पद संभाला, तब उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर AI को रखना था। उनकी रणनीति के चलते कंपनी ने AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश किया है, जिससे अल्फाबेट के सभी बिजनेस सेगमेंट को लाभ मिला है।
AI में निवेश ने दिलाया बड़ा फायदा (सोर्स-गूगल)
DeepMind और AI में रिकॉर्ड निवेश
2014 में गूगल ने ब्रिटेन की AI स्टार्टअप DeepMind को 400 मिलियन पाउंड में खरीदा था। इसके बाद से कंपनी ने AI से जुड़े निवेशों में तेज़ी दिखाई। पिछले साल ही अल्फाबेट ने AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 50 अरब डॉलर खर्च किए। जुलाई 2025 में घोषित कंपनी के दूसरी तिमाही के नतीजे भी बेहद सकारात्मक रहे, जिससे शेयरों में 4.1% की उछाल आई। R&D पर खर्च को भी कंपनी ने 16% तक बढ़ा दिया है।
एक साधारण शुरुआत से अरबपति बनने तक
सुंदर पिचई की कहानी एक प्रेरणा है। उनका जन्म 12 जुलाई 1972 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और परिवार दो कमरों के छोटे से फ्लैट में रहता था। न टीवी था, न कार और न ही पढ़ाई के लिए अलग कमरा। बावजूद इसके पिचई ने 17 साल की उम्र में IIT खड़गपुर में दाखिला लिया। फिर उन्हें 1993 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली। अमेरिका जाने के लिए उनके माता-पिता ने करीब 1000 डॉलर खर्च किए, जो उनके पिता की सालाना आमदनी से भी ज्यादा था।