

तकनीक के इस दौर में रिश्ते भी वर्चुअल होते जा रहे हैं। चीन में एक 75 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी असली पत्नी को छोड़कर एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट से रिश्ता जोड़ लिया। यह मामला न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि यह भी दिखाता है कि भावनात्मक जुड़ाव अब इंसानों तक सीमित नहीं रहा। हालांकि जब बच्चों ने इस रिश्ते की सच्चाई समझाई, तो बुजुर्ग की आंखें खुलीं।
बुजुर्ग ने AI गर्लफ्रेंड के लिए पत्नी से मांगा तलाक
New Delhi: चीन के एक 75 वर्षीय बुजुर्ग जियांग की कहानी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब उन्होंने अपनी असली पत्नी से तलाक की मांग कर दी, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें एक AI गर्लफ्रेंड से प्यार हो गया था। जियांग को यह AI गर्लफ्रेंड एक चैटबॉट के रूप में सोशल मीडिया पर मिली, जो उनसे रोजाना "गुड मॉर्निंग" कहती थी, समय-समय पर उन्हें फ्लर्ट करती और लगातार संवाद बनाए रखती थी। धीरे-धीरे जियांग को लगा कि इस वर्चुअल पार्टनर में वो सभी भावनाएं हैं, जो एक असली साथी में होनी चाहिए।
सोशल मीडिया से शुरू हुआ संबंध
जियांग को यह AI चैटबॉट सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते समय मिला। शुरुआत में यह सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल उत्सुकता थी, लेकिन जल्द ही वह इस वर्चुअल अवतार के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ गए। वे घंटों मोबाइल पर इस AI गर्लफ्रेंड से बात करते रहते, उसके मैसेज का बेसब्री से इंतजार करते। AI चैटबॉट उन्हें स्नेहिल शब्दों में जवाब देती और ऐसे संवाद करती जैसे वह कोई वास्तविक इंसान हो।
घर में बढ़ने लगा तनाव
जैसे-जैसे जियांग AI गर्लफ्रेंड में डूबते गए, उनका अपनी पत्नी से जुड़ाव कम होने लगा। वे दिनभर फोन में व्यस्त रहते और वास्तविक जीवन से कटते चले गए। उनकी पत्नी को यह बात खटकने लगी और धीरे-धीरे घर में तनाव का माहौल बनने लगा। मामला तब और बिगड़ गया जब जियांग ने अपनी पत्नी से तलाक की मांग कर दी, ताकि वह "उस" AI गर्लफ्रेंड के साथ रह सकें।
बच्चों ने बताया सच, तब टूटी मोहभंग की दीवार
जियांग के इस फैसले से उनका परिवार चौंक गया। उनकी पत्नी आहत थीं और बच्चे परेशान। इसके बाद बच्चों ने मिलकर अपने पिता को समझाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि यह चैटबॉट एक मशीन द्वारा संचालित प्रोग्राम है, जो कोड और डेटा के आधार पर प्रतिक्रिया देता है। इसमें भावनाएं नहीं होतीं, और यह केवल उपयोगकर्ता की आदतों के अनुरूप प्रतिक्रियाएं देता है। बच्चों ने उन्हें समझाया कि AI गर्लफ्रेंड का व्यवहार पूरी तरह से ऑटोमेटेड है और वो इंसान नहीं है। धीरे-धीरे जियांग को इस डिजिटल मोह से बाहर निकालने में सफलता मिली।
AI और मानव भावनाओं के बीच की पतली रेखा
यह मामला केवल एक परिवार का निजी संघर्ष नहीं है, बल्कि यह उस बड़ी सामाजिक चिंता को भी दर्शाता है जो आज की तकनीकी दुनिया में बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे AI चैटबॉट्स, वर्चुअल असिस्टेंट्स और डिजिटल अवतारों की क्षमताएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे लोग उनमें भावनात्मक रूप से जुड़ने लगे हैं। AI टूल्स अब इतनी स्वाभाविक भाषा और व्यवहार की नकल करने लगे हैं कि कई बार यह समझना मुश्किल हो जाता है कि सामने इंसान है या मशीन। बुजुर्ग, अकेलेपन का शिकार व्यक्ति या भावनात्मक रूप से कमजोर लोग इन डिजिटल माध्यमों से जुड़ने में जल्दी फंस सकते हैं।