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दिल्ली के करोल बाग पुलिस ने ‘ऑपरेशन साइबरहॉक’ के तहत अवैध मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और IMEI टैंपरिंग यूनिट का भंडाफोड़ किया। 1,826 मोबाइल, तकनीकी उपकरण और हजारों पार्ट्स बरामद हुए। पढ़ें पूरी खबर
करोल बाग में बड़ा साइबरक्राइम का खुलासा (सोर्स- गूगल)
Karol Bagh: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करोल बाग थाना पुलिस ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ‘ऑपरेशन CyberHawk’ के तहत पुलिस ने इलाके में चल रही एक अवैध मोबाइल असेंबलिंग और IMEI टैंपरिंग यूनिट का भंडाफोड़ किया। यह छापा गली नंबर 22, बीडनपुरा स्थित एक बहुमंजिला इमारत में मारा गया, जहां पुलिस को भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल फोन और तकनीकी उपकरण मिले। शुरुआती जांच से पता चला है कि यह एक संगठित रैकेट था, जो चोरी, साइबर अपराध और गैर-कानूनी मोबाइल व्यापार से जुड़ा हुआ था।
पुलिस की रेड में 1,826 मोबाइल फोन, IMEI बदलने में इस्तेमाल होने वाला विशेष लैपटॉप, WRITEIMEI 0.2.2 सॉफ्टवेयर, स्कैनर, हजारों मोबाइल बॉडी पार्ट्स और बड़ी संख्या में फर्जी IMEI लेबल मिले। इस तरह का सेटअप यह साबित करता है कि आरोपी पुराने और नए पार्ट्स को मिलाकर अवैध रूप से मोबाइल तैयार करते थे।
यह यूनिट पूरी तरह एक मिनी–मोबाइल फैक्ट्री की तरह संचालित हो रही थी, जहां पुराने फोन कबाड़ी वालों से खरीदे जाते थे और उनकी मदरबोर्ड को चीन से आए नए पार्ट्स के साथ जोड़कर ‘फ्रेश मोबाइल’ की तरह तैयार कर दिया जाता था।
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पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी WRITEIMEI सॉफ्टवेयर का उपयोग करके मोबाइल फोनों के असली IMEI नंबर बदल देते थे। IMEI वही नंबर होता है जिससे किसी फोन की असली पहचान ट्रैक होती है। इसे बदलना पूरी तरह गैर-कानूनी है और ऐसे फोन अक्सर चोरी, धोखाधड़ी और साइबर अपराध में इस्तेमाल किए जाते हैं।
आरोपी न केवल IMEI बदलते थे, बल्कि उस पर नकली लेबल चिपकाकर फोन को बाजार में एकदम नए उत्पाद की तरह बेचते थे। इस तरह तैयार किए गए फोन दिल्ली समेत कई शहरों के स्थानीय बाजारों में अलग-अलग सप्लाइ चैनलों के माध्यम से बेचे जाते थे।
करोल बाग थाना (सोर्स- गूगल)
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यह रैकेट पिछले दो साल से लगातार काम कर रहा था। किसी भी एजेंसी को इसकी भनक नहीं लगी क्योंकि आरोपी बार-बार लोकेशन बदलते थे और सप्लायर से लेकर खरीदार तक का नेटवर्क बेहद सुरक्षित तरीके से संचालित किया जा रहा था।
पूरे मामले में करोल बाग थाने में FIR नंबर 1367/25 दर्ज की गई है। आरोपियों पर BNS की धारा 318(4) और 112, IT एक्ट की धारा 65 तथा टेलीकॉम एक्ट 2023 की धारा 42(3)(c) और 42(3)(e) के तहत केस दर्ज किया गया है।
पुलिस ने जब्त किए गए सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। इससे यह पता लगाया जाएगा कि कितने मोबाइल फोनों का IMEI बदला गया, उनका इस्तेमाल कहां–कहां हुआ, क्या उन फोनों का संबंध किसी बड़े साइबर अपराध या चोरी की घटनाओं से है और क्या आरोपी किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े हुए थे। इसके साथ ही पुलिस यह भी जांच कर रही है कि चीन से आने वाले मोबाइल पार्ट्स कैसे बिना किसी रेकॉर्ड के दिल्ली तक पहुंच गए।
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दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस ऑपरेशन के बाद राजधानी में ऐसे रैकेट्स पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अवैध मोबाइल यूनिट्स न केवल कानून का उल्लंघन करती हैं, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा करती हैं क्योंकि बदले हुए IMEI वाले फोन अपराधियों को ट्रैक करने में मुश्किलें पैदा करते हैं।
पुलिस को उम्मीद है कि इस कार्रवाई से शहर में सक्रिय अन्य अवैध मोबाइल यूनिट्स और उनके सप्लायरों के बारे में भी मूल्यवान जानकारी मिलेगी। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है और जल्द ही इस पूरे नेटवर्क का ब्लूप्रिंट सामने आने की संभावना है। ऑपरेशन CyberHawk की इस बड़ी सफलता ने साइबर अपराध पर लगाम लगाने की दिशा में दिल्ली पुलिस की सक्रियता और प्रोफेशनलिज़्म को फिर साबित किया है।