

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अगस्त 2025 की बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। नीतिगत रुख ‘न्यूट्रल’ बना रहेगा। महंगाई दर और GDP ग्रोथ अनुमान में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, जबकि वैश्विक टैरिफ अनिश्चितता पर नजर रखी जा रही है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा
New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की अगस्त 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में लिए गए फैसलों के तहत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा करते हुए बताया कि रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखा गया है और मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' ही रहेगा। यह फैसला वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और घरेलू आर्थिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
ब्याज दरों में स्थिरता
पिछले कुछ महीनों में लगातार तीन बार ब्याज दरों में कटौती के बाद इस बार यह अनुमान लगाया जा रहा था कि RBI रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। उम्मीद के मुताबिक, रेपो रेट यथावत रखा गया है। यह निर्णय बताता है कि केंद्रीय बैंक फिलहाल वित्तीय स्थिरता और मुद्रास्फीति नियंत्रण के बीच संतुलन बनाए रखने के पक्ष में है।
महंगाई दर पर फोकस
RBI ने कहा कि कोर मुद्रास्फीति 4.4% के आसपास है, जो थोड़ी बढ़ी है, लेकिन अभी भी काबू में है। पूरे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए औसत महंगाई दर का अनुमान घटाकर 3.1% कर दिया गया है, जो कि पहले 3.7% था। तिमाही अनुमानों में भी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, FY27 की पहली तिमाही में महंगाई बढ़कर 4.9% तक जा सकती है।
जीडीपी अनुमान में कोई बदलाव नहीं
RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर स्थिर रखा है। तिमाही स्तर पर यह अनुमान पहले की तरह ही है पहली तिमाही 6.5%, दूसरी 6.7%, तीसरी 6.6% और चौथी में 6.3% ग्रोथ का अनुमान है। इससे साफ है कि RBI भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर आशावादी है।
टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितता का असर
अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ और आगे टैरिफ बढ़ाने की धमकी ने मौद्रिक नीति पर प्रभाव डाला है। RBI के इस सतर्क रवैये के पीछे वैश्विक अनिश्चितता और व्यापार नीति में अस्थिरता एक बड़ी वजह है। नीति में जल्दबाज़ी न करके, RBI आगे की स्थिति साफ होने तक रुकने की रणनीति पर काम कर रहा है।
निवेशकों और आम जनता को राहत
ब्याज दरों में स्थिरता के चलते होम लोन, ऑटो लोन और अन्य ऋणों की EMI में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। इससे आम जनता को राहत मिलेगी और रियल एस्टेट सेक्टर में भी स्थिरता बनी रहेगी।