

बुधवार, 17 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने सकारात्मक शुरुआत की। सेंसेक्स में 250 अंकों की बढ़त और निफ्टी 25,300 से ऊपर खुला। फेडरल रिजर्व की बैठक, जीएसटी दरों में कटौती और त्योहारों की मांग से निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ है। बाजार में बैंकिंग, ऑटो और एफएमसीजी सेक्टर में तेजी देखी गई।
सेंसेक्स 250 अंक चढ़ा (Img:Google)
New Delhi: हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन यानी बुधवार, 17 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत शुरुआत की। बीएसई का सेंसेक्स 250 अंकों की बढ़त के साथ खुला, जबकि एनएसई का निफ्टी 25,300 के पार जाकर कारोबार शुरू हुआ। शुरुआती सत्र में बैंकिंग, ऑटो, एफएमसीजी और ड्यूरेबल्स सेक्टर में खरीदारी का रुझान बढ़ा, जिससे बाजार में मजबूती आई।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक से पहले वैश्विक स्तर पर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। निवेशकों में भरोसा बढ़ा है कि दरों में कटौती का फैसला बाजार को सपोर्ट देगा। साथ ही घरेलू स्तर पर त्योहारों की मांग बढ़ने और जीएसटी दरों में राहत से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई है। जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि वाहन और टिकाऊ उपभोक्ता सामान (ड्यूरेबल्स) सेक्टर में निवेश बढ़ा है, जिससे इन शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है।
शेयर बाजार में रौनक (Img: Google)
निवेशकों की निगाह भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत पर टिकी हुई है। यदि अमेरिका की फेडरल रिजर्व दरों में कटौती करती है, तो इसका सकारात्मक असर न सिर्फ वैश्विक लिक्विडिटी पर पड़ेगा, बल्कि उभरते बाजारों, खासकर भारत में विदेशी निवेश बढ़ सकता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का रुझान तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की ओर रहेगा, जिससे इक्विटी मार्केट को मजबूती मिलेगी और रुपया स्थिर रहेगा।
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विशेषज्ञों के अनुसार अगर फेड दरों में कटौती करती है तो अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट आएगी। इससे निवेशकों का ध्यान भारतीय बॉन्ड और इक्विटी की ओर जाएगा। साथ ही जीएसटी दरों में राहत और त्योहारों की मांग से एफएमसीजी, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में निवेश बढ़ेगा। इससे बाजार की तेजी और बनी रहेगी।
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कुल मिलाकर बाजार में सकारात्मक माहौल बन चुका है। निवेशकों की नजर फेडरल रिजर्व की बैठक पर है, जबकि घरेलू स्तर पर जीएसटी कटौती और त्योहारी मांग से बाजार को सहारा मिल रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वैश्विक और स्थानीय कारक मिलकर भारतीय शेयर बाजार को किस दिशा में ले जाते हैं।