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साल 2025 में कई इक्विटी म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के लिए घाटे का सौदा साबित हुए हैं। 654 फंड्स में से 171 ने निगेटिव रिटर्न दिया, जबकि 12 फंड्स में 10% से ज्यादा नुकसान हुआ। जानिए पूरी लिस्ट और वजहें।
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Img Source: google)
New Delhi: साल 2025 अब अपने आखिरी महीने दिसंबर में पहुंच चुका है और यह साल इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं रहा। जहां कुछ फंड्स ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया, वहीं बड़ी संख्या में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स ने निगेटिव रिटर्न देकर निवेशकों को निराश किया है।
इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक मौजूद 654 इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में से 171 फंड्स ने निगेटिव रिटर्न दर्ज किया है। इनमें से करीब 12 ऐसे फंड्स रहे हैं, जिनमें निवेशकों को 10 फीसदी से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है। सबसे ज्यादा मार नेट इक्विटी, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स पर पड़ी है।
साल 2025 में निवेशकों को सबसे बड़ा झटका Shriram Multi Sector Rotation Fund से लगा है। इस फंड ने करीब 21.45 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है, जो इस साल के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले फंड्स में शामिल है।
इसके बाद Samco Flexi Cap Fund रहा, जिसमें निवेशकों को लगभग 19.84 फीसदी का नुकसान झेलना पड़ा। मोमेंटम स्ट्रैटेजी पर आधारित फंड्स भी इस साल दबाव में नजर आए।
टेक्नोलॉजी सेक्टर पर फोकस करने वाला Quant Tech Fund भी निवेशकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और इसमें करीब 16.07 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
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साल 2025 में कई स्मॉल कैप और टैक्स सेविंग फंड्स का प्रदर्शन भी कमजोर रहा।
इसके अलावा, Motilal Oswal Midcap Fund: 11.17% नुकसान, Motilal Oswal ELSS Tax Saver Fund: 10.76% गिरावट डिजिटल और सेक्टोरल थीम वाले फंड्स भी दबाव में रहे।
Tata Digital India Fund: 9.72% निगेटिव रिटर्न, IT & Healthcare Fund: करीब 9.60% नुकसान वहीं HSBC Small Cap Fund और Samco Special Opportunities Fund में भी करीब 12 फीसदी तक की गिरावट देखी गई।
इसके अलावा कुछ अन्य थीमैटिक और इनोवेशन आधारित फंड्स ने भी निवेशकों को निराश किया।
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2025 का अनुभव यह साफ दिखाता है कि सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। बाजार में गिरावट के समय ये फंड्स सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे केवल रिटर्न देखकर नहीं, बल्कि रिस्क प्रोफाइल, निवेश अवधि और डायवर्सिफिकेशन को ध्यान में रखकर निवेश करें।
लंबी अवधि के निवेशक अगर सही रणनीति और धैर्य के साथ बने रहते हैं, तो अस्थायी गिरावट के बावजूद बेहतर रिटर्न की संभावना बनी रहती है।