

भारत सरकार ने बॉम्बे और पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति आलोक अराधे और विपुल पंचोली की पदोन्नति कॉलेजियम की सिफारिश के बाद अधिसूचित की गई।
सुप्रीम कोर्ट
New Delhi: भारत सरकार ने आज यानी 27 अगस्त को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे और पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है। यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के दो दिन बाद की गई।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, दोनों न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त करने में प्रसन्नता जाहिर की है।'
In exercise of the powers conferred by the Constitution of India, the President, after consultation with Chief Justice of India, is pleased to appoint (i) Shri Justice Alok Aradhe, Chief Justice, Bombay High Court and (ii) Shri Justice Vipul Manubhai Pancholi, Chief Justice,…
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) August 27, 2025
न्यायमूर्ति आलोक अराधे और विपुल पंचोली की पदोन्नति
यह नियुक्ति इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि न्यायमूर्ति विपुल पंचोली की पदोन्नति को लेकर कॉलेजियम की आंतरिक बैठक में असहमति की खबरें सामने आई हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने इस फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पंचोली की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में अपेक्षाकृत कम स्थान और 2023 में गुजरात हाई कोर्ट से पटना हाई कोर्ट में उनके स्थानांतरण की पृष्ठभूमि पर चिंता जताई।
सुप्रीम कोर्ट में दो नए जजों की सिफारिश, जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल पंचोली के नाम शामिल
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने यह भी इंगित किया कि पहले से ही गुजरात हाई कोर्ट के दो न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में पदस्थ हैं। इसके बावजूद, कॉलेजियम के आधिकारिक बयान में उनकी असहमति या इस नियुक्ति के पीछे कोई कारण स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं किया गया। इससे पारदर्शिता को लेकर भी कुछ कानूनी विशेषज्ञों के बीच सवाल खड़े हो गए हैं।
जस्टिस विपुल पंचोली की नियुक्ति इस कारण भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि उनकी वरिष्ठता को देखते हुए वे अक्टूबर 2031 से मई 2033 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावित कतार में शामिल हो गए हैं।
वहीं जस्टिस आलोक अराधे, जिनका अब तक का न्यायिक कार्यकाल सुलझे हुए और निष्पक्ष फैसलों के लिए जाना जाता है, उनकी नियुक्ति को कानूनी समुदाय में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इन दोनों नियुक्तियों के साथ अब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या में इजाफा हुआ है और यह उम्मीद की जा रही है कि लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी।