सुप्रीम कोर्ट में दो नए जजों की सिफारिश, जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल पंचोली के नाम शामिल

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दो उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति की सिफारिश की है। जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल पंचोली के नाम भेजे गए हैं केंद्र सरकार को।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 25 August 2025, 5:36 PM IST
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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी एक अहम और बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के दो उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। सोमवार को हुई कॉलेजियम की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसे न्यायपालिका के भीतर एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।

कॉलेजियम ने जिन नामों की सिफारिश की है, वे हैं-

कॉलेजियम ने जिन दो नामों की अनुशंसा की है, उनमें पहला नाम है- न्यायमूर्ति आलोक अराधे, जो वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। उनका मूल उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश हाईकोर्ट रहा है। दूसरा नाम है- न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली, जो फिलहाल पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं और मूल रूप से गुजरात हाईकोर्ट से हैं।

यह नियुक्ति प्रक्रिया भारत के न्यायिक ढांचे में महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या और उनकी विविध पृष्ठभूमि न्यायिक संतुलन और दक्षता के लिए जरूरी होती है। कॉलेजियम ने दोनों न्यायाधीशों की वरिष्ठता, अनुभव और न्यायिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यह सिफारिश की है।

न्यायमूर्ति आलोक अराधे का लंबा न्यायिक अनुभव रहा है। वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबे समय तक सेवा देने के बाद जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक हाईकोर्ट में भी विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे हैं। पिछले वर्ष उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

कॉलेजियम की यह सिफारिश अब केंद्र सरकार को भेजी गई

वहीं न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली ने गुजरात हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। हाल ही में उन्हें पटना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की यह सिफारिश अब केंद्र सरकार को भेजी गई है। केंद्र की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति द्वारा इनकी नियुक्ति को औपचारिक रूप दिया जाएगा।

इन नियुक्तियों से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या में सुधार आएगा, जिससे लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है। साथ ही, विभिन्न राज्यों से न्यायाधीशों के चयन से न्यायपालिका में विविधता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को भी बढ़ावा मिलेगा।

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