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फतेहपुर के असोथर थाना प्रभारी अभिलाष तिवारी को सरकंडी गांव में विकास कार्यों की जांच के दौरान हुए बवाल के बाद निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई प्रयागराज परिक्षेत्र के आईजी के निर्देश पर की गई। घटना में कई लोग घायल हुए थे।
थाना प्रभारी अभिलाष तिवारी निलंबित
Fatehpur: फतेहपुर जिले के असोथर थाने में तैनात थाना प्रभारी अभिलाष तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई असोथर ब्लॉक के सरकंडी गांव में विकास कार्यों में कथित भ्रष्टाचार की जांच के दौरान हुए बवाल के बाद की गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, प्रयागराज परिक्षेत्र के आईजी के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक ने गुरुवार देर शाम निलंबन का आदेश जारी किया, जिससे जिले के पुलिस महकमे में हलचल मच गई है।
बताया जा रहा है कि शाम सरकंडी गांव में उस समय स्थिति बिगड़ गई, जब प्रशासनिक अधिकारी विकास कार्यों की गुणवत्ता और खर्च की जांच के लिए पहुंचे थे। जांच टीम की मौजूदगी में ही गांव के दो पक्षों के बीच कहासुनी शुरू हो गई, जो देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गई। इस दौरान लाठी-डंडे चले और कई लोग घायल हो गए। घटना के बाद गांव में तनाव फैल गया और पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
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इस पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे। आरोप है कि मौके पर मौजूद पुलिस बल समय रहते स्थिति को संभालने में नाकाम रहा। हालात बिगड़ने और कानून-व्यवस्था प्रभावित होने की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों तक पहुंची, जिसके बाद आईजी प्रयागराज ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके कारण, असोथर थाना प्रभारी अभिलाष तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
निलंबन के साथ ही जिले में नई तैनातियों की घोषणा भी की गई है। जहानाबाद थाने के प्रभारी धीरेंद्र ठाकुर को असोथर थाने की कमान सौंपी गई है। वहीं, पुलिस अधीक्षक के पीआरओ मनीष कुमार सिंह को जहानाबाद थाने का नया प्रभारी बनाया गया है।
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अभिलाष तिवारी का नाम इससे पहले भी विवादों में रह चुका है। करीब पांच वर्ष पूर्व कौशांबी जिले की अझुहा पुलिस चौकी में तैनाती के दौरान उन्हें निलंबित किया गया था। उस समय प्रयागराज एसटीएफ की कार्रवाई में पशु तस्करों से मिलीभगत के मामले में उनकी संलिप्तता सामने आई थी। उस प्रकरण में लगभग 30 पुलिसकर्मी जांच के घेरे में आए थे। फतेहपुर जिले में भी अभिलाष तिवारी पर पहले से आरोप लगते रहे हैं। मलवां थाने के बाद जब उन्हें असोथर थाने का प्रभार सौंपा गया, तब से उनके कार्यकाल को लेकर शिकायतें सामने आती रही हैं।