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15 साल के लॉरेंट सिमंस ने क्वांटम फिजिक्स में पीएचडी पूरी कर वैज्ञानिक दुनिया को चकित कर दिया है। “लिटिल आइंस्टीन” के नाम से प्रसिद्ध लॉरेंट का IQ 145 है और वे भविष्य में अमरता पर रिसर्च करना चाहते हैं। अमेरिका और चीन की कई कंपनियां उत्सुक हैं।
15 साल के लॉरेंट सिमंस
Belgium: क्वांटम फिजिक्स वो क्षेत्र है जिसे समझने में दुनिया के बड़े से बड़े वैज्ञानिक वर्षों लगा देते हैं। लेकिन बेल्जियम के 15 वर्षीय लॉरेंट सिमंस ने इसे अपने नाम कर लिया। उन्होंने क्वांटम फिजिक्स में PhD पूरी कर विज्ञान जगत में हलचल मचा दी है। “लिटिल आइंस्टीन” के नाम से मशहूर लॉरेंट की इस उपलब्धि ने न सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय को प्रभावित किया है, बल्कि अब वे आम लोगों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं। उनकी असाधारण प्रतिभा को देखते हुए अमेरिका और चीन की कई टेक व साइंस कंपनियां उन्हें अपने रिसर्च सेंटर में पढ़ाने और प्रोजेक्ट लीड करने के ऑफर भेज रही हैं।
2010 में बेल्जियम में जन्मे लॉरेंट सिमंस दुनिया के उन बेहद दुर्लभ बच्चों में से एक हैं जिनका दिमाग सामान्य इंसान से कई गुना तेज़ है। उनका IQ 145 है। जो दुनिया की केवल 0.1% आबादी में पाया जाता है। उनके पास फोटोग्राफिक मेमोरी है, जिससे वे किसी भी विषय को एक बार पढ़कर लंबे समय तक याद रख लेते हैं।
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लॉरेंट का शैक्षणिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 2 साल की उम्र में चैप्टर बुक्स पढ़ना शुरू, 4 साल की उम्र में स्कूल में एडमिशन, 6 साल की उम्र में प्राइमरी शिक्षा पूरी और 9 साल की उम्र में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने Eindhoven University of Technology (TUE) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का चार साल वाला कोर्स केवल 10 महीनों में पूरा कर लिया।
लॉरेंट ने 12 साल की उम्र में क्वांटम फिजिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की और इसके बाद उन्होंने एंटवर्प यूनिवर्सिटी में PhD की शुरुआत की। बीते सप्ताह उन्होंने अपनी पीएचडी थिसिस जमा कर दी, जिससे वे दुनिया के सबसे कम उम्र के क्वांटम रिसर्चर्स में शामिल हो गए।
लॉरेंट की PhD रिसर्च का विषय अत्यंत जटिल और गहन है कि Bose Polaron in Superfluids and Supersolids क्वांटम फिजिक्स का यह हिस्सा दुनिया के अनुभवी वैज्ञानिकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण माना जाता है। सुपरफ्लूइड्स और सुपरसॉलिड्स से जुड़ी उनकी स्टडी आज के क्वांटम रिसर्च में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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लॉरेंट की जिंदगी में एक घटना ने उन्हें क्वांटम फिजिक्स की ओर मोड़ दिया। 11 साल की उम्र में दादा-दादी की मौत ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया, जिसके बाद उन्होंने जीवन और मृत्यु को समझने की जिज्ञासा से क्वांटम रिसर्च शुरू की। अब पीएचडी पूरी होने के बाद उनका नया लक्ष्य है कि मानव जीवन को लंबा करना और अमरता की वैज्ञानिक खोज करना। इसके लिए वे मेडिकल साइंस की पढ़ाई शुरू करना चाहते हैं।
लॉरेंट की उपलब्धि के बाद अमेरिकी रिसर्च लैब्स, चीनी टेक कंपनियां और यूरोपीय वैज्ञानिक संस्थान उन्हें अपने रिसर्च प्रोजेक्ट्स में शामिल करना चाहते हैं। कई कंपनियां उन्हें प्रोफेसर के रूप में भी नियुक्त करने की तैयारी कर रही हैं।
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