

मनीषा नामक युवती की हुई निर्मम हत्या ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना के विरोध और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सोमवार देर शाम हरिद्वार के बहादराबाद स्थित सलेमपुर गांव में एक विशाल आक्रोश रैली एवं कैंडल मार्च निकाला गया। ऑल ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मुस्तफा के नेतृत्व में निकले इस मार्च में सैकड़ों लोग हाथों में मोमबत्तियाँ लिए सड़क पर उतरे।
सलेमपुर में निकला कैंडल मार्च
Haridwar: हरियाणा में मनीषा नामक युवती की हुई निर्मम हत्या ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना के विरोध और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सोमवार देर शाम हरिद्वार के बहादराबाद स्थित सलेमपुर गांव में एक विशाल आक्रोश रैली एवं कैंडल मार्च निकाला गया।
ऑल ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मुस्तफा के नेतृत्व में निकले इस मार्च में सैकड़ों लोग हाथों में मोमबत्तियाँ लिए सड़क पर उतरे। माहौल गमगीन था, पर लोगों की आंखों में गुस्सा और दिल में न्याय की उम्मीद साफ झलक रही थी।
“मनीषा को न्याय दो”, “महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करो”, और “दोषियों को फांसी दो” जैसे नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
हाजी मुस्तफा ने कहा, “मनीषा की हत्या सिर्फ एक बेटी की हत्या नहीं है, यह पूरे समाज के विवेक पर चोट है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक उसकी आत्मा को न्याय नहीं मिलता और दोषियों को कठोर सजा नहीं दी जाती।”
सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
गांव की महिला सरपंच सुनीता देवी ने कहा, “बेटियों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। यह सिर्फ मनीषा का मामला नहीं, बल्कि हर घर की बेटी का सवाल है।”
युवा छात्र नेता दीपक चौधरी भावुक होकर बोले, “जब हम पढ़ाई करते हैं तो सपना देखते हैं कि समाज आगे बढ़ेगा, लेकिन ऐसी घटनाएँ हमें भीतर से तोड़ देती हैं। अगर दोषियों को सख्त सजा नहीं दी गई तो युवा पीढ़ी का विश्वास न्याय व्यवस्था से उठ जाएगा।”
स्थानीय व्यापारी सलीम खान ने कहा, “आज हम सब candles लेकर खड़े हैं, कल अगर न्याय नहीं मिला तो पूरा समाज सड़कों पर उतर आएगा। बेटियों की असुरक्षा अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
मौन श्रद्धांजलि और संकल्प
कैंडल मार्च का समापन शहीद स्मारक पर हुआ। वहां सभी लोगों ने मौन रखकर मनीषा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसी के साथ यह संकल्प भी लिया गया कि जब तक मनीषा को न्याय नहीं मिलता, यह संघर्ष थमेगा नहीं।
गांव के बुजुर्ग रामकिशन शर्मा की आंखें नम थीं। उन्होंने कहा, “आज जिन मोमबत्तियों से अंधेरा मिटाने की कोशिश हो रही है, हम चाहते हैं कि न्याय की वह रोशनी हमेशा के लिए जले और हमारी बेटियाँ बिना डर के जी सकें।”