

देहरादून के डोईवाला का तितली पार्क बीते 6 वर्षों से उपेक्षा का शिकार होकर बंद पड़ा है। लाखों की लागत से बना यह पर्यटक आकर्षण कभी 80 प्रजातियों की तितलियों से सजा था। अब पर्यटक सिर्फ बंद गेट और ताले देख लौट जाते हैं।
Dehradun: लच्छीवाला नेचर पार्क, जो अपने शांत प्राकृतिक वातावरण और हरियाली के लिए जाना जाता है, कभी तितलियों की रंगीन उड़ानों से गुलजार रहता था। वर्ष 2015-16 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत यहां बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई थी। उद्देश्य था कि पर्यटक यहां आकर प्राकृतिक जैव विविधता का आनंद लें और क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिले। पार्क की स्थापना पर लगभग 40 से 50 लाख रुपये खर्च किए गए थे। शुरुआती प्रयासों में विभाग ने इस परियोजना को संजीवनी देने की पूरी कोशिश की। विशेषज्ञों की मदद से यहां 80 से अधिक तितली प्रजातियां लाईं गईं, जिनकी वैज्ञानिक पुष्टि भी की गई थी।
यह पार्क कुछ समय तक आकर्षण का केंद्र बना रहा, लेकिन विभागीय उदासीनता और रखरखाव की कमी के कारण बीते 6 वर्षों से यह पार्क बंद पड़ा है। अब यहां वीरानी छाई है और संरचना धीरे-धीरे जर्जर हो रही है। पर्यटक जब लच्छीवाला नेचर पार्क घूमने आते हैं, तो बंद पड़े तितली पार्क को देखकर निराश हो जाते हैं। स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी बार-बार इसकी मरम्मत और पुनः संचालन की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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