

ULCC चिट फंड घोटाला उत्तराखंड का अब तक का सबसे बड़ा निवेश घोटाला माना जा रहा है। हजारों आम लोग जिन्होंने अपने जीवन की पूंजी इस कंपनी में लगा दी थी, अब न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। CBI जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि मामले की तह तक जाकर न सिर्फ दोषियों को सजा मिलेगी, बल्कि लोगों की राशि भी वापस दिलाई जा सकेगी।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
Uttarakhand News: उत्तराखंड में सामने आए यूएलसीसी (ULCC) चिट फंड घोटाले ने राज्य की जनता और प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। देवभूमि के पांच जिलों देहरादून, पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी और रुद्रप्रयाग में इस घोटाले में अब तक 13 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। राज्य में अब तक लगभग 92 करोड़ रुपये की ठगी की पुष्टि हो चुकी है, जबकि पूरे देश में इस कंपनी ने कथित तौर पर करीब 189 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की। अब इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोटाले की CBI जांच के लिए अनुमोदन दे दिया है।
क्या है पूरा मामला?
ULCC नाम की एक चिट फंड कंपनी ने खुद को सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया था। इस कंपनी ने उत्तराखंड के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी शाखाएं खोली गई। लोगों को कम समय में अधिक मुनाफा, विदेशी निवेश, सोने और तेल व्यापार और रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाने का लालच देकर मोटी रकम जुटाई। उत्तराखंड में कंपनी की करीब 35 शाखाएं सक्रिय थी। लोगों ने भरोसा कर लाखों-करोड़ों रुपये का निवेश किया, लेकिन जब परिपक्वता की तारीख आई तो उन्हें न तो ब्याज मिला और न मूलधन। जब लोगों ने दफ्तरों में संपर्क किया तो उन्हें या तो टाल दिया गया या धमकाया गया।
प्रदेशभर में फूटा लोगों का गुस्सा
हजारों निवेशकों की मेहनत की कमाई डूब जाने से राज्यभर में उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। जनता की लगातार बढ़ती नाराजगी को देखते हुए पुलिस ने इस घोटाले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी। रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि घोटाला बेहद सुनियोजित और बहुस्तरीय है। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की CBI जांच के लिए अनुमति दे दी है। जल्दी ही संपूर्ण केस फाइल केंद्रीय जांच एजेंसी को हस्तांतरित की जाएगी।
पुलिस कर चुकी है गिरफ्तारियां
इस घोटाले में पुलिस पहले ही कुछ प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। हालांकि, ठगी के इस पूरे नेटवर्क की जड़ें गहरी और व्यापक हैं, जो उत्तराखंड से बाहर तक फैली हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि कई दस्तावेज, लेनदेन की डिटेल और बैंकिंग रिकॉर्ड्स पहले ही कब्जे में लिए जा चुके हैं।
कंपनी का तरीका
ULCC कंपनी ने निवेशकों को बताया कि उनका पैसा विदेशों में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट्स जैसे कि सोने की खान, तेल की रिफाइनरी और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट में लगाया जाएगा। इसके बदले उन्हें 6 महीने, 1 साल और 3 साल की योजनाओं में डबल रिटर्न देने का वादा किया गया। कई निवेशकों को शुरू में थोड़ी रकम लौटाकर उनका भरोसा भी जीता गया, जिससे और ज्यादा लोग इस स्कीम से जुड़ते गए। लेकिन जैसे-जैसे रकम बढ़ती गई, कंपनी की असलियत सामने आने लगी।
अब क्या होगा आगे?
सरकार की अपील
राज्य सरकार ने कहा है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि "किसी भी निवेशक की गाढ़ी कमाई डूबने नहीं दी जाएगी। यह मामला अब CBI के हवाले होगा, ताकि पारदर्शी और निष्पक्ष जांच हो सके।"