

रुद्रप्रयाग के केदारनाथ पैदल मार्ग पर सोमवार को एक यात्री के घोड़े से फिसलकर और दूसरे की पैर में फ्रैक्चर से घायल होने की खबर है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
केदारनाथ पैदल मार्ग पर दो यात्री घायल
रुद्रप्रयाग: केदारनाथ पैदल मार्ग पर रविवार शाम को एक यात्री घोड़े से फिसलकर गिर गया जिससे यात्री के कमर में फैक्चर हो गया है। सूचना पर पहुंची डीडीआरएफ की टीम ने घायल को गौरीकुंड भेजा। फिर उसे शटल वाहन के माध्यम से सोनप्रयाग भेजा गया, जहां उसका प्राथमिक उपचार किया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार घायल तीर्थयात्री की पहचान पवन अरुण शेंडे (27) पुत्र अरुण शेंडे के रूप में हुई है जो नागपुर महाराष्ट्र के निवासी हैं।
जानकारी के अनुसार यात्री केदारनाथ से गौरीकुण्ड की तरफ आ रहे थे। इस दौरान छोड़ी में अचानक घोड़े का पैर फिसल गया जिससे घोड़ा गस खाकर नीचे गिर गया। घोड़े के गिरने से यात्री घायल हो गया। DDRF की टीम ने गौरीकुण्ड से घायल यात्री को गौरीकुण्ड अस्पताल से स्ट्रेचर के माध्यम से गौरीकुण्ड बस अड्डा तक लाकर एम्बुलेंस के माध्यम से उपचार के लिए सोनप्रयाग भेजा गया।
तीर्थयात्री को उपचार के लिए ले जाते डीडीआरएफ की टीम
दूसरी घटना केदारनाथ पैदल मार्ग के रामबाड़ा के पास की है। रविवार शाम को केदारनाथ से गौरीकुंड की तरफ जा रहे एक तीर्थयात्री का पैर मुड़ गया जिससे उसके पैर में फ्रैक्चर आ गया।
घायल यात्री की पहचान अरुण मेनारिया (34) के रूप में हुई है। जो राजस्थान के निवासी हैं।
सूचना मिलने पर DDRF की टीम मौके पर पहुंची और यात्री को उपचार के लिए भीमबली पहुंचाया। जहाँ डॉक्टरों ने यात्री को प्राथमिक उपचार के बाद रैफर कर दिया। DDRF की टीम यात्री को हॉस्पिटल से मीठा पानी लायी और उसके बाद जंगल चट्टी से चिरबासा हेलिपैड लाया गया।
DDRF टीम गौरीकुंड द्वारा यात्री को चिरबासा हेलीपैड से गौरीकुण्ड बस अड्डा तक लाकर सटल वाहन के माध्यम से सोनप्रयाग भेजा गया।
बता दें कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर फिसलन से यात्रियों के घायल होने की सूचना लगातार मिल रही हैं। घोड़े-खच्चरों के फिसलने से कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से केदारनाथ तक यात्रियों को 16 किमी की खड़ी चढ़ाई तय कर पहुंचना पड़ता है।
पैदल मार्ग पर रोजाना चार हजार से अधिक घोड़े-खच्चरों की आवाजाही भी होती है। इतनी बड़ी संख्या में घोड़े खच्चरों की आवाजाही होने से पैदल मार्ग पर लगाए गए पत्थर घिस-घिस कर चिकने हो जाते हैं, जो फिसलन भरे हो जाते हैं। केदारनाथ में संचालित घोड़े खच्चरों के पैरों में लगी नाल लोहे की बनी होती है जिससे पत्थर चिकने व फिसलन भरे हो जाते हैं। जो आगे हादसे का सबब बनते हैं।