Nainital News: पंचायत चुनाव में देरी को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को दिया ये निर्देश

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पंचायत चुनाव में देरी को लेकर सख्त रुख अपनाया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: विजय यादव
Updated : 17 May 2025, 4:51 PM IST
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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला पंचायतों के बाद अब ग्राम पंचायतों में भी निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त करने के राज्य सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर याचिकाओं और जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार से 20 मई तक चुनाव कराने की योजना पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई भी मंगलवार को जारी रहेगी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, तो प्रशासक नियुक्त करने का कोई औचित्य नहीं है। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है और चुनाव उसी के अनुरूप कराए जाने चाहिए।

पंचायत चुनाव को लेकर सरकार से मांगा जवाब (इमेज सोर्स- इंटरनेट)

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार अपने दायित्वों से नहीं मुकर सकती और उसे चुनाव का कार्यक्रम कोर्ट में पेश करना होगा। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि चुनाव कराने संबंधी उनकी सभी प्रक्रियाएं पूरी हैं और उन्होंने अपना पूरा कार्यक्रम सरकार को भेज दिया है। अब सरकार को यह निर्णय लेना है कि कहां आरक्षण देना है और कहां नहीं।

पूर्व ग्राम प्रधान विजय तिवारी सहित कई अन्य याचिकाकर्ताओं ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि पहले सरकार ने जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया और अब ग्राम पंचायतों का चुनाव न कराकर निवर्तमान ग्राम प्रधानों को भी प्रशासक नियुक्त करके उन्हें वित्तीय अधिकार दे दिए गए हैं।

याचिकाओं में कहा गया है कि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नहीं कराए हैं। निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त करने से चुनाव प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए ग्राम पंचायतों का शीघ्र चुनाव कराया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासक केवल तभी नियुक्त किया जा सकता है जब ग्राम सभा को किसी कारण से भंग कर दिया गया हो और भंग होने के बाद भी छह महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक है।

यहां तो स्थिति इसके विपरीत है, जहां निर्वाचित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद निवर्तमान प्रधानों को प्रशासक बनाया जा रहा है। इससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार अभी चुनाव कराने की स्थिति में नहीं है, जबकि अभी मतदाता सूची और आरक्षण तय करने जैसे कई कार्य चुनाव आयोग को करने हैं। इसलिए ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त न करके शीघ्र चुनाव कराए जाएं।

एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से साक्ष्य मांगे है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी के जखोल गांव स्थित ऐतिहासिक सोमेश्वर महादेव मंदिर के पुराने और नए फोटोग्राफ सहित अन्य साक्ष्य अगले हफ्ते कोर्ट में पेश करने के निर्देश राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में शुक्रवार को मंदिर कमेटी की ओर से रामलाल विश्वकर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि 13 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि जखोल स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर की यथास्थिति बनाए रखी जाए और जब तक मंदिर के ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक हंस फाउंडेशन मंदिर में किसी भी प्रकार का पुनर्निर्माण या परिवर्तन कार्य नहीं करेगा।

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