

हरिद्वार की विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत साबिर पाक की दरगाह पिरान कलियर एक बार फिर विवादों के घेरे में है। दरगाह की गुल्लक (दान पेटी) की गिनती में हुए घोटाले का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक कार्यशैली और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। पढ़ें पूरी खबर
दरगाह पिरान कलियर
Haridwar News: हरिद्वार की विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत साबिर पाक की दरगाह पिरान कलियर एक बार फिर विवादों के घेरे में है। दरगाह की गुल्लक (दान पेटी) की गिनती में हुए घोटाले का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक कार्यशैली और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े इस पवित्र स्थल पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है।
क्या है पूरा मामला
मामला 11 जुलाई 2025 का है। उस समय दान पत्र की गिनती के दौरान नियुक्त सुपरवाइज़र राव सिकंदर हुसैन पर पैसों की हेराफेरी का आरोप लगा था। प्रारंभिक जांच में उनका जवाब असंतोषजनक पाया गया और रिपोर्ट में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि कार्रवाई के आदेश जारी होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
दोषियों के खिलाफ आदेश
आरटीआई के जरिए हुए खुलासे में यह साफ हो गया कि दोषियों के खिलाफ आदेश तो जरूर हुए, लेकिन वे महज़ “फाइलों” तक सीमित रह गए। इससे स्थानीय लोगों में गहरा रोष है। उनका कहना है कि दरगाह जैसे आस्था स्थल की पवित्रता पर इस तरह की घटनाएं सीधी चोट करती हैं और श्रद्धालुओं का विश्वास डगमगा जाता है।
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श्रद्धालुओं का बड़ा सवाल
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का बड़ा सवाल यह है कि जब कार्रवाई के आदेश पहले ही पारित किए जा चुके थे तो उन्हें अमल में लाने में इतनी देरी क्यों की गई? क्या दोषियों को किसी राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव का संरक्षण मिल रहा है? या फिर मामले को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया?
प्रशासन इस मामले में सख्ती से कदम उठाए..
लोगों की मांग है कि सरकार और प्रशासन इस मामले में सख्ती से कदम उठाए। श्रद्धालुओं का मानना है कि यदि दोषियों को इस बार भी बच निकलने दिया गया तो यह आस्था से खिलवाड़ और पारदर्शिता पर गहरा आघात होगा।
दरगाह की गरिमा और लोगों के विश्वास की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाना अब बेहद आवश्यक हो गया है। सबकी निगाहें प्रशासन और शासन पर टिकी हुई हैं कि क्या दोषी एक बार फिर बच निकलेंगे या वास्तव में कड़ी कार्रवाई होगी। इस घोटाले ने यह साबित कर दिया है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए सख्त निगरानी और जवाबदेही की ज़रूरत है।