

हरिद्वार में एआरटीओ ने शुक्रवार को वाहन डीलरशिप का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सभी डीलरों को वाहन को समय से पंजीकृत करने और नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए।
हरिद्वार में वाहन डीलरशिप का निरक्षण करते एआरटीओ
Haridwar: जनपद में वाहन डीलरशिप पर अब अपंजीकृत वाहन शोरूम से बाहर निकालना भारी पड़ सकता है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) निखिल शर्मा ने शुक्रवार को जनपद में संचालित प्रमुख वाहन डीलरशिप का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मारुति, किया, टाटा और महिंद्रा की एजेंसियों का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।
निरीक्षण के दौरान एआरटीओ ने स्पष्ट किया कि अब कोई भी वाहन पंजीकरण के बिना शोरूम से बाहर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाहन बिक्री की तिथि से अधिकतम सात दिनों के भीतर संबंधित वाहन का पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराना होगा। इसके लिए डीलरशिप को सुनिश्चित करना होगा कि खरीदार का पूरा विवरण सही-सही वाहन पोर्टल पर दर्ज किया जाए।
निखिल शर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुविधा और पारदर्शिता के लिए सभी डीलरशिप परिसर में आरटीओ कर दर की सूची प्रमुख स्थान पर चस्पा की जाए। इससे वाहन खरीदने वालों को कर दरों और पंजीकरण की प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि नियमों के पालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई डीलरशिप अपंजीकृत वाहन को शोरूम से बाहर करती पाई गई, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एआरटीओ ने सभी डीलरों को निर्देशित किया कि सात दिन के भीतर कंप्लायंस रिपोर्ट कार्यालय में प्रस्तुत की जाए।
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इसके अलावा, उन्होंने कहा कि समय-समय पर परिवहन विभाग की ओर से नए दिशा-निर्देश जारी किए जाते रहेंगे। इनका अनुपालन करना सभी डीलरों के लिए अनिवार्य होगा। निरीक्षण के दौरान एआरटीओ ने उपभोक्ता हितों को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि नियम व्यवस्था बनाए रखना ही विभाग की प्राथमिकता है।
स्थानीय स्तर पर यह कदम वाहन उपभोक्ताओं के हित में एक बड़ा निर्णय माना जा रहा है। इससे जहां पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, वहीं अपंजीकृत वाहनों के सड़क पर उतरने की घटनाओं पर भी रोक लगेगी। साथ ही कर चोरी और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने में विभाग को मदद मिलेगी।
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वाहन डीलरशिप पर हुई इस सख्ती से यह साफ हो गया है कि अब नियमों को ताक पर रखकर वाहन की बिक्री संभव नहीं होगी। विभाग ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि उपभोक्ता और राजस्व दोनों की सुरक्षा के लिए कानून का पालन हर हाल में जरूरी है।