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उत्तराखंड के डोईवाला में सरकार के गन्ना मूल्य में मामूली वृद्धि को लेकर किसानों में आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा सरकार ने 3 साल बाद गन्ना के मूल्य में वृद्धि की है। जबकि इसके सापेक्ष महंगाई तेजी से बड़ी है जो किसानों की लागत के बराबर भी नहीं है।
Dehradun: सरकार के नए गन्ना मूल्य वृद्धि को लेकर किसानों में आक्रोश व्याप्त है। किसान इसे नाकाफी बता रहे हैं। सरकार ने हाल ही में नया गन्ना मूल्य घोषित किया है। किसान जहां इसे नाकाफी बता रहे हैं वही सत्ता पक्ष के लोग इस बात से उत्साहित हैं कि सरकार ने गन्ने का रेट ₹30 एक मुश्त बढ़ाकर किसानों को बड़ी राहत दी है।
डोईवाला के जाने-माने किसान गुलशन अरोड़ा ने कहा कि लागत के अनुरूप फसल का मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने 3 साल बाद गन्ना के मूल्य में वृद्धि की है। जबकि इसके सापेक्ष महंगाई तेजी से बड़ी है। उन्होंने बताया कि किसानों को उम्मीद थी कि गन्ने का मूल्य 450 रुपए से ऊपर होगा। लेकिन किसानों का पक्ष सरकार की ओर से सुना ही नहीं गया, ऐसे में किसान हतोत्साहित हो रहा है।
वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य मंत्री करण बोरा ने कहा कि सरकार ने ₹30 एक मुफ्त बढ़ाकर बड़ा फैसला लिया है। उत्तराखंड के गन्ना किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहे जो भी कहे लेकिन गन्ना किसान सरकार की नीतियों से संतुष्ट हैं। उन्हें बताया कि गन्ना मूल्य का भुगतान भी समय-समय पर किया जा रहा है।

नाराज किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित ₹30 प्रति क्विंटल की वृद्धि अपर्याप्त है क्योंकि खाद, बीज और मजदूरी जैसी खेती की लागत लगातार बढ़ रही है। किसानों की अपनी लागत तक का मूल्य नहीं मिल पा रहा है तो वह क्यों गन्ने की फसल उगाए।
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किसानों ने कहा कि गन्ने की खेती से जुड़ी लागत, जैसे कि खाद, बीज, मजदूरी और परिवहन, लागत के हिसाब से सरकार को मूल्य वृद्धि करनी चाहिए।
लाभ का असमान बंटवारा
किसान ने तर्क दिया कि गन्ने से चीनी, इथेनॉल और कागज जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं, लेकिन मूल्य केवल चीनी के उत्पादन के आधार पर तय किया जाता है, जो कि अनुचित है।
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डोईवाला में गन्ना मूल्य अपर्याप्त वृद्धि होने के कारण किसानों में नाराजगी है, उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें जल्दी नहीं मानी गई तो वे उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे।